Ek To Karela, Dusra Nim Chadha Story In Hindi – एक व्यक्ति को मधुमेह की बीमारी थी। वैद्य का कहना था कि करेले की सब्जी और करेले का रस > मधुमेह के रोगी के लिए बहुत लाभदायक होता है। वैद्य ने उससे करेला खाने के लिए कहा तो बिदक गया। करेले से ही नहीं बल्कि हर कड़बी चीज से उसे एक तरह से नफरत थी।
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यहां तक कि यदि खोरा थोड़ा भी कड़वा निकल आता, तो उसके मुंह का जायका खराब हो जाता था। लोगों के कहने-सुनने के बाद उसने करेले की सब्जी खानी स्वीकार कर ली, लेकिन उसकी शर्त थो कि करेले की सब्जी में कड़वापन नहीं होना चाहिए। उसके परिवारवाले करेले को काटकर और उसमें नमक मिलाकर दो-तीन घंटे के लिए रख देते थे।
तब उसको धोकर उसकी सब्जी बनाकर देते थे, लेकिन वैद्य, का कहना था कि थोड़ा कड़वापन बना रहे तो वह बहुत लाभदायक होता है। किसी तरह वह करेले में रह जाने वाले कड़वेपन को सहन करने लगा। उसकी मधुमेह की बीमारी बहुत कम रह गई। वह चाहता था कि बिल्कुल ठीक हो जाए, लेकिन पूर्ण रूप से ठीक होना तो संभव नहीं था, फिर भी अधिक-से-अधिक ठीक हुआ जा सकता था।
उसके लिए वह कड़वेपन से दूर भागता था। एक दिन किसी ने उसको समझाया कि कड़वी जितनी भी चीजें हैं, वे सभी लाभदायक हैं। नीम, गिलोय, करेला आदि तमाम बीमारियों की दवाएं हैं। मधुमेह बीमारी के लोग कच्चे करेले के छिलकों का रस पीते हैं और एक तुम हो।
कड़वे के नाम पर उसके शरीर में सिहरन दौड़ गई। एक दिन किसी ने उसे सलाह दी कि नीम पर चढ़ी हुई लता के करेले खाने से मधुमेह जड़ से ठीक हो जाता है। वह सुनते ही बिदक गया और बोला- “क्या! एक तो करेला, दूसरा नीम चढ़ा’ ना भाई, नहीं खाना मुझे।”
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