HomeHindi Storiesनाच न जाने, आंगन टेढ़ा | Nach Na Jane Angan Tedha

नाच न जाने, आंगन टेढ़ा | Nach Na Jane Angan Tedha

Nach Na Jane Angan Tedha – लड़के की शादी थी। दो दिन बाद बरात जानी थी। दो दिन से शाम को गीत और नाच नियमित हो रहे थे। आज तीसरा दिन था। रिश्तेदार, घर-कुनबा और आस-पड़ोस की महिलाएं गीत में शामिल दी। कुनबे की एक बुआ थी। सुंदर भी थी और कपड़े भी अच्छे पहने थी। जब कोई नाचता था तो वह कुछ-न-कुछ बोल देती थी।

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Nach Na Jane Angan Tedha

कभी कह देती, “अरे ये तो देखने की है। नाचनो ढंग से ना आए।” कभी कहती, “अभी नई-नई दीखे सीख जाएगी नाचनो थोड़े दिनन में। “कभी कहती, “मजा नाएं आयो।” लेकिन जब कोई अच्छा नाचती और सब उसकी तारीफ करती तो वह भी कह देती, “देखो, ये है नाचवो तो “मोहल्ले और कुनबे वालों की बुआ होने के नाते लड़कियां और बहुएं उनकी बातों को मजाक में तेजी थीं।

आज तो लड़के की मां, बहनें, भाभियां और तमाम बहू-बेटियां नाचीं। आज बुजा ने कुछ ऐसी बातें कहीं कि जिसमें व्यंग्य थे। जैसे “अरे, ये छोरी नाचवोई न जाने बिना नाच के कहूँ गीत पूरे होएं।” “ऐ तो बस खावे की है। जापे कछु न आये।” आखिरी दिन के गीत गाए जाने वाले थे सब बहुओं और लड़कियों ने मिलकर सोचा- दुआ सबकी मीन-मेख निकालती है।

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आज बुआ को नचवाते हैं। फिर देखना, कैसी-कैसी बातें बुआ को सुनने को मिलती. हैं। सब बहुएं और लड़कियां औरतों के इकट्ठे होने का इंतजार करने लगीं। आज सभी दिल खोलकर गीत गा रही थीं और नाच रही थीं। बुआ की तो कुछ-न-कुछ कहने की आदत थी ही, सो कहती रहीं।

बहुओं और लड़कियों ने एक-दूसरे को इशारा किया कि बुआ से नाचने की कहो। एक ने कहा, “आज बुआ नाचेंगी। खड़ी हो जाओ बुआ।” इतना कहना था कि दो-तीन बहुओं और लड़कियों ने मिलकर बुआ की जबरदस्ती खड़ी कर दिया। पहले बुआ ने कहा कि मेरे पैर में थोड़ा दर्द है में नाच नहीं पाऊंगी, लेकिन बहुओं और लड़कियों की जिद के आगे मजबूरी में तैयार हो गई।

बुआ न तो नाचना जानती थी और न कभी नाचा ही था। कहने-सुनने पर बुआ ने ऐसे ही तीन घूमे लिए और बैठ गई। बुआ के घूमों पर बहुएं और लड़कियां ताली दे-देकर खूब हंसी। एक बहू ने कहा, “बुआ, नाच थोड़े ही रही थीं, कुदक रही थीं।” एक औरत बुआ की भाभी लगती थी। वह बोली, “यह उंटनी नाच है।

जाए हरेक कोई नांव नाच सके।” एक बार फिर हंसी के फव्वारे छूटे। बहुएं और लड़कियां बोली, “दुआ थोड़ा और नाचो, बैठ कैसे गई? तुम्हारा पैर तो ठीक है।” बुआ कुछ मुंह बनाकर कहने लगी, “यहां नाचवे की जगह नॉय आंगन कुछ टेढ़ा-टेढ़ा-सा है। इसी से हम नाच नांय पा रहे हैं।” उसी भीड़ में से एक बुढ़िया ने गाली दी और फिर बोली ‘नाच न जाने, आंगन टेढ़ा।’

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Rahul Patil
Rahul Patilhttps://techyatri.com/
Rahul Patil is the founder of TechYatri.com, With a bachelor’s degree in computer science, Rahul specializes in delivering insightful gadget reviews, software reviews, Tech trends, and detailed how-to guides. Through TechYatri, he aims to simplify complex tech concepts and provide trustworthy, reliable content to a growing audience of tech enthusiasts.

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