Gay Ka Malik Kaun Story In Hindi- शाम के समय एक ग्वाला अपनी गाय चराकर जंगल से वापस लौट रहा था। उसे रास्ते में एक बदमाश मिला, जिसने उसे डरा-धमकाकर उसकी गाय छीन ली। इससे बेचारा ग्वाला बहुत दुःखी हुआ। वह उसी गाय का दूध बेचकर अपने परिवार का पालन-पोषण करता था।
वह फरियाद करने के लिए अकबर के दरबार में जा रहा था कि रास्ते में उसे बीरबल मिल गए। उसने बीरबल को सारा किस्सा सुनाया। दूसरे दिन बीरबल ने ग्वाले को और उस बदमाश को दरबार में बुलाया। ग्वाले की शिकायत पर गाय रात ही में जब्त कर ली गई थी।
बदमाश नाटक करके कहने लगा कि यह गाय उसी की है, ग्वाला झूठ बोल रहा है। बीरबल ने दोनों से पूछा, “सच-सच बताओ, यह गाय किसकी है? “यह गाय मेरी है श्रीमान !” दोनों ने एक साथ कहा। बीरबल बोले, “ठीक है। यदि गाय तुम्हारी है तुम्हें इसका नाम भी मालूम होगा। तुम दोनों बारी-बारी से मेरे पास आओ और मेरे कान में गाय का नाम बताओ। फिर मैं तुम्हारा न्याय करूँगा।” दोनों ने बारी-बारी से बीरबल के कान में गाय का नाम ‘बताया।
बीरबल ने पहले उस बदमाश से कहा, “तुमने मुझे गाय का जो नाम बताया है, अब उसी नाम से गाय को पुकारकर अपने पास बुलाओ। ‘उसने बड़े प्यार से गाय को पुकारा, “गौरी! गौरी! आओ गौरी।” मगर यह क्या गाय तो अपनी जगह से टस से मस नहीं हुई।
अब ग्वाले की बारी आई। उसने अपने विशेष अंदाज में गाय को पुकारा,” कपिला! मेरी गौमाता! आओ।” अपने असली मालिक के पुकारे जाते ही गाय के कान खड़े हो गए और वह खूँटे से छूटने का प्रयत्न करने लगी। ग्वाला आँखों में आँसू भरकर उसके करीब गया और बड़े प्यार से उसके शरीर पर हाथ फेरने लगा।
बीरबल ने उस बदमाश से कहा, “देखा? गाय ग्वाले की है। तूने डरा-धमकाकर इसकी गाय छीन ली थी। ऊपर से तू झूठ भी बोला और अदालत का समय बरबाद किया। “.बदमाश घबरा गया और बीरबल के पैर पकड़कर माफी माँगने लगा।
बीरबल ने उसे पचास कोड़े मारने की सजा सुनाई और ग्वाले को उसकी गाय सौंप दी। ग्वाला अपनी गाय लेकर बीरबल को दुआएँ देता खुशी-खुशी अपने घर चला गया और बादशाह अकबर ने भी बीरबल की प्रशंसा की।