Beiman Mitr Story In Hindi- दो मित्र थे। रामलाल और श्यामलाल। रामलाल गरीब और सीधा था। श्यामलाल लालची और बेईमान । एक बार रामलाल को परदेस जाना पड़ा। वह अपना सारा कीमती सामान श्यामलाल के पास रखवा गया ताकि सुरक्षित रहे। वर्ष भर बाद वह वापस आया और श्यामलाल से अपना सामान माँगा, मगर बेईमान श्यामलाल ने सामान देने से साफ इन्कार कर दिया।
रामलाल ने उसकी बड़ी मिन्नत की, मगर वह नहीं पसीजा। अन्त में दुःखी होकर रामलाल बीरबल के पास पहुँचा और सारी बात बताई। बीरबल ने पूरी बात सुनकर कहा, “तुम दो-दिन बाद जाकर अपना सामान माँगना और न देने पर उसे धमकाना 1.1 कि मैं दीवानजी के पास जा रहा हूँ।’
रामलाल बेचारा अपने घर चला गया। इधर, बीरबल ने दूसरे दिन श्यामलाल को बुलवाया। उसकी अच्छी आवभगत की फिर कहा, “श्यामलालजी! जहाँपनाह एक नई अदालत खुलवाना चाहते हैं, जहाँ हिन्दुओं के मुकदमें सुने जाएँ। बादशाह सलामत ने मुझे उस अदालत के लिए न्यायाधीश चुनने की जिम्मेदारी सौंपी है।
काफी सोचने-समझने के बाद मैंने सोचा है कि क्यों न तुम्हारा नाम बादशाह को सुझाऊँ। ‘आपने बिल्कुल ठीक सोचा है दीवानजी!” श्यामलाल खुश होकर बोला, “मैं तो आपको ही आदर्श मानता हूँ, इसलिए पूरी ईमानदारी से अपना कर्तव्य निभाऊँगा। “ठीक है! तुम्हारी इच्छा जान ली। अब मैं जहाँपनाह से बात करूँगा। अब तुम जाओ।” ★ श्यामलाल खुशी-खुशी वापस चला गया और सोचने लगा कि अगर मैं शहर का काजी बन गया तो मजा आ
जाएगा। अभी घर पहुँचा ही था कि रामलाल आ धमका। उसने फिर अपने सामान का तगादा किया। इस बार श्यामलाल ने उसे धमका दिया। “ठीक है, अब भी अगर तुम मेरा सामान वापस नहीं करते, तो मैं दीवानजी के पास जाता हूँ।” रामलाल ने कहा, “अब वही इंसाफ करेंगे।”
कहकर रामलाल जाने को हुआ तो श्यामलाल ने घबराकर उसके पाँव पकड़ लिए, “अरे….रे.. यार! क्यों नाराज़ होकर जाता है। मैं तो तुझसे मजाक कर रहा था। ले अपना सारा सामान ले जा। “और फिर श्यामलाल ने उसे सारा सामान दे दिया। दरअसल, श्यामलाल के मन में यह बात बैठ गई थी कि अगर रामलाल ने बीरबल से शिकायत कर दी तो मुझे काजी का पद मिलने से पहले ही छिन जाएगा।
कुछ दिनों तक वह बीरबल के बुलावे का इन्तज़ार करता रहा, मगर जब बुलावा नहीं आया तो उसने खुद ही जाकर पूछा, “मैं कब न्यायाधीश बनूँगा?” बीरबल बोले, “किसी बेईमान को न्यायाधीश बनाने से अच्छा है कि न्यायालय खोला ही न जाए। दोस्त के साथ बेईमानी करने वाला बेईमान कतई काजी नहीं बन सकता। श्यामलाल का सिर शर्म से झुक गया।
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