Na Yaha Na Vaha Story In Hindi- “हुजूर! आप सब प्रकार के कार्य बीरबल को ही सौंप देते हैं। क्या हम कुछ भी नहीं कर सकते?” एक दिन एक दरबारी ने अकबर से कहा। “ठीक है, मैं आज तुम्हें भी एक काम बताता हूँ।”बादशाह अकबर बोले, “मैं तुम्हें तीन रुपए देता हूँ। इनकी तीन चीजें ले आओ। हर एक की कीमत एक रुपया होनी चाहिए। पहली चीज़ यहाँ की होनी चाहिए।
दूसरी चीज़ वहाँ की होनी चाहिए। तीसरी चीज़ न यहाँ की हो, न वहाँ की हो। “दरबारी तुरंत बाजार गया। दुकानदार के पास जाकर उससे ये तीनों चीजें माँगी, दुकानदार उसकी बातें सुनकर हँसने लगा और बोला, “यह चीजें कहीं नहीं मिल सकतीं।” उन तीनों चीज़ों को दरबारी ने अनेक दुकानों पर पूछा और खोजा, लेकिन जब वे चीजें कहीं नहीं मिलीं तो हारा थका निराश होकर दरबार में लौट आया।
उसने बादशाह अकबर को बताया, “ये तीनों चीजें किसी भी कीमत पर कहीं भी नहीं मिल सकतीं। अगर बीरबल इन्हें ला सके, तो मैं उन्हें मान जाऊँगा।” “देखा, तुममें और बीरबल में यही फर्क है। हम जानते हैं कि हमारे काम तुम लोग नहीं कर सकते, इसलिए मैं हर काम बीरबल को सौंप देता हूँ और उसकी तरफ से हमें निराश भी नहीं होना पड़ता।
“अब बादशाह अकबर ने वही काम बीरबल को सौंप दिया। बीरबल सीधे बाजार में गए और एक रुपया उन्होंने चौराहे पर बैठे एक भिखारी को दान कर दिया। वही दरबारी जो असफल होकर लौटा था, वह छिपकर बीरबल का पीछा कर रहा था। बीरबल ने आगे जाकर एक मिठाई की दुकान से एक रुपए की मिठाई खरीदकर मजे से खाई, फिर एक जुआघर में जाकर जुआ खेलने बैठ गए और एक रुपया हारकर घर को चले गए।
अगले दिन बीरबल दरबार में आए तो बादशाह ने पूछा, “क्यों बीरबल, हमारी चीजें ले आए?” बीरबल ने फौरन कहा, “जी हाँ, मैंने पहला रुपया एक फकीर को दे दिया, जो वहाँ से भगवान के पास जा पहुँचा। दूसरा रुपया मैंने मिठाई में खर्च किया, जो यहाँ काम आ गया और तीसरे रुपए का मैंने जुआ खेल लिया, जो कि न यहाँ काम आएगा, न वहाँ अर्थात् परलोक में।
“बीरबल की बात सुनकर सभी दरबारी चकित रह गए। अकबर ने प्रसन्न होकर बीरबल को बहुत-सा इनाम दिया।
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