Asli Badshah Story In Hindi- बीरबल की चतुराई और सूझ-बूझ के किस्से अब देश विदेश तक फैल चुके थे। लोग उनकी सूझ-बूझ की प्रशंसा करते। कुछ लोग उनकी ख्याति सुन उनका इम्तिहान तक लेने आ चुके थे। मिस्र के बादशाह ने भी बीरबल की चतुराई की बड़ी प्रशंसा सुनी तो उसने सोचा कि मैं भी बीरबल की चतुराई की परीक्षा लूँ। देखूं तो सही कि वह कितना चतुर है।
अतः उसने अकबर को पत्र लिखा और बीरबल को मिस्र भेजने की गुज़ारिश की। अकबर ने बीरबल को मिस्र भेज दिया। मिस्र के मंत्री ने बड़े जोर-शोर से बीरबल का स्वागत किया। फिर उसने बीरबल को शाही मेहमानखाने में ठहरा दिया और कहा, “आप कल दरबार में आएँ। वहाँ बादशाह से आपकी मुलाकात होगी।
“बीरबल तो पहले ही समझ चुके थे कि उन्हें यहाँ अकारण नहीं बुलाया गया है। हो न हो कल बादशाह के दरबार में उनका इम्तिहान लिया जाएगा। मगर बीरबल भला ऐसी परिस्थितियों से कहाँ घबराने वाले थे। वे खा-पीकर आराम से पाँव फैलाकर सो गए।
सुबह वे तैयार होकर बैठे ही थे कि उन्हें दरबार में ले जाने के लिए मंत्री आ पहुँचा। बीरबल दरबार में पहुँचे तो उन्होंने वहाँ पाँच-पाँच बादशाह बैठे देखे। सभी एक जैसे! ज़रा-सा भी फर्क नहीं। बीरबल समझ गए कि ये लोग मेरा इम्तिहान लेना चाहते हैं। बीरबल ने बड़े ध्यान से उन पाँचों बादशाहों को देखा। उनका अच्छी तरह निरीक्षण किया।
अन्त में वह एक बादशाह के सामने पहुँचे और उनका अभिवादन किया। बादशाह को बहुत आश्चर्य हुआ। उन्होंने बीरबल से पूछा, “मैं ही असली बादशाह हूँ, यह तुम्हें कैसे मालूम हुआ? “बीरबल ने कहा, “जहाँपनाह! जो नकली बादशाह थे, वे अपने-आपको असली बादशाह जताने के लिए तरह-तरह की चेष्टाएँ कर रहे थे।
वे नज़रें बचाकर आपकी ओर देख रहे थे, परंतु आपको ऐसा करने की आवश्यकता ही नहीं थी। इसलिए आप स्थिर बैठे हुए थे। इस प्रकार मैंने फौरन आपको पहचान लिया। “बीरबल की चतुराई से मिस्र का बादशाह बहुत खुश हुआ । उसने बीरबल को कीमती पुरस्कार दिए और कई दिनों तक शाही मेहमान बनाए रखने के बाद विदा किया।
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