Bagal Me Chora, Shahar Me Dhindora Story In Hindi- सर्दी का मौसम था। आंगन में तीन महिलाएं बैठी थीं। एक महिला लाल मिर्च के डंठल तोड़ रही थी और दो महिलाएं उसके साथ बातें कर रही थीं। मिर्च के डंठल तोड़ने वाली महिला अचानक कहने लगी, “अरी बहना, अभी-अभी मेरा लड़का यहीं खेल रहा था। वह देखो, वस्ता भी यहीं पड़ा है।
मालूम नहीं कहां गया” यह कहते हुए महिलाओं से फिर बतियाने में लग गई। शाम हो गई थी। झुटपुटा होने को हुआ। उसके साथ बैठी महिलाएं चली गई। फिर उसे अपने लड़के की याद आई। कभी कहीं जाता नहीं था। आज मालूम नहीं कहां चला गया था। वह अपने लड़के को देखने पड़ोसियों के यहां गई।
पूछती फिरी कि मेरा लड़का तो नहीं खेल रहा है? पड़ोसियों ने कहा कि. मेरे लड़के तो यहीं खेल रहे हैं। आस-पड़ोस में पूछकर वह घर वापस आ गई। पांच साल का लड़का था। वह घर और पड़ोस के अलावा कहीं जाता नहीं था। अब तो उसने रोना शुरू कर दिया।
आस-पड़ोस से औरत और लोग-बाग आ गए। पता चला कि लड़का कहीं चला गया है। परिवार तथा पड़ोस के कई लोग शहर में इधर-उधर ढूंढने निकल पड़े। शहर की कोतवाली में भी इत्तला कर दी और शहर में मुनादी पिटने लगी। घर में सभी परेशान थे। सब एक जगह बैठकर शोक-सा मनाने लगे।
खाना बनाने का समय हो चुका था, लेकिन चूल्हा ऐसा ही पड़ा था। घर के सभी सदस्य मुंह लटकाए बैठे थे। कुछ पड़ोसिने भी उनके पास बैठी थीं। सभी कुछ-न-कुछ बोल रही थीं। कोई कहता कि कोई पकड़कर तो नहीं ले गया या किसी ने कुछ कर तो नहीं दिया।
लड़के की मां के मन में रह-रहकर तरह-तरह के स्थान आ रहे थे। सर्दी कुछ बढ़ गई थी। एकाएक चादर लेने के लिए लड़के की मां कमरे में गई। जैसे ही उसने वहां से चादर उठाई, उसकी नजर लड़के के चेहरे पर पड़ी उसका लड़का सो रहा था। लड़के को लेकर उसकी मां आंगन में आई। लड़का पसीना-पसीना हो रहा था।
कभी वह उसे पुचकारती थी, कभी गोदी में लिए-लिए सीने से लगा लेती थी। अब जो भी सुनता था कि लड़का मिल गया, भागता चला आ रहा था। आंगन में औरतें, बच्चे, मोहल्ले के व्यक्तियों की अच्छी-खासी भीड़ लग गई थी। जो भी पूछता कि लड़का कहां मिला? सबसे कहती कि अंदर कमरे में सो रहा था।
उसके घर से महिलाएं, बच्चे आदि लड़के को देखकर आ रहे थे। एक औरत कह रही थी, देखो तो, ‘बगल में लड़का, शहर में टिंडोरा।
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