Birbal Ke Tir Story In Hindi- बादशाह अकबर के सभी सभासद बीरबल की बातों का आघात सहते हुए थक चुके थे। एक दिन मौका देखकर उन्होंने बीरबल पर प्रहार करते हुए कहा, “बीरबल! तुम सिर्फ बातों के तीरंदाज़ हो। अगर सचमुच तीर चलाना पड़े तो तुम्हें नानी दादी याद आ जाए। “बीरबर ने कहाँ हार माननी थी। उन्होंने मूँछें उमेठकर कहा, “मैं सचमुच का तीरंदाज़ भी हूँ, अगर बीरबल का निशाना गलत हो जाए तो जो चोर की सज़ा वह मेरी।
दरबारियों को लगा कि बीरबल अपनी बातों के जाल में खुद फँस गए हैं। उन्होंने बादशाह पर जोर डाला कि इसी समय बीरबल की तीरंदाजी की परीक्षा ली जाए। सब मैदान में पहुँचे। बीरबल के हाथ में कमान और तीर थमाए गए। कुछ ही दूरी पर स्थित पेड़ को लक्ष्य बनाकर तीर चलाने को कहा गया।
उनका ख्याल था कि बुद्धि का तीर चलाने वाला सचमुच के तीर से निशाना लगाना क्या जाने । बीरबल ने पहला तीर छोड़ा। तीर लक्ष्य पर न लगकर आगे निकल गया। बीरबल को तो पहले ही मालूम था कि निशाना चूकेगा। मगर अपनी इस असफलता को भी वे स्वीकार करके दूसरे के सिर मढ़ना चाहते थे।
बीरबल ने झट चीखकर कहा, “यह रही मुल्ला दो प्याजा की तीरंदाज़ी। “मुल्ला झेंप गए। बाकी दरबारी ठहाका लगाकर हँस पड़े। उन्होंने दूसरा तीर निकालकर कमान पर चढ़ाया। वह तीर भी लक्ष्य को पार कर गया। बीरबल अब भी भला कहाँ चूकने वाले थे, बुलन्द आवाज में बोले, “यह रही राजा टोडरमल की तीरंदाज़ी।
“राजा टोडरमल भी मुस्कराकर मुँह छुपा बैठे। एक बार फिर दरबारियों का ठहाका गूंजा। बीरबल ने तीसरा तीर कमान पर चढ़ाया। संयोग से वह तीर ठीक निशाने पर जा लगा। इस पर बीरबल ने बड़े रुआब से कहा, “और यह रही बीरबल की तीरंदाज़ी।
“वाकई!” अकबर हँसकर बोले, “तुमने तीरंदाज़ी के साथ-साथ बातों के भी तीर छोड़े।” • इस प्रकार बीरबल की बुराइयाँ करने वालों को एक बार फिर मुँह की खानी पड़ी।
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