Dahej Me Jungle Story In Hindi- बादशाह अकबर को शिकार में काफी दिलचस्पी थी। इसलिए उन्होंने अपने शिकार के शौक को पूरा करने के लिए कुछ गाँव उजड़वाकर एक जंगल सुरक्षित करवा दिया था। जब कभी उनकी इच्छा होती, अपने साथ कुछ सैनिकों को लेकर वे जंगल में जाते और आखेट कर संध्या को घर लौट आते। उस जंगल में बादशाह के सिवा कोई दूसरा व्यक्ति शिकार नहीं कर सकता था। इसलिए उसके चारों ओर पहरा बैठा दिया था।
एक दिन बादशाह एक बड़े लश्कर के साथ उस जंगल में गए। जंगल में एक स्थान पर तोतों के दो दलों में भयंकर युद्ध चल रहा था। बादशाह को देखकर उनकी लड़ाई रुक गई औ वे अपने-अपने पेड़ों पर बैठ गए और एक दूसरे को कुछ-कुछ कहने लगे। इस लड़ाई को देखकर बादशाह को बड़ा आश्चर्य हुआ।
उसका भेद जानने के लिए लालायित होकर उन्होंने बीरबल से पूछा, “बीरबल! तुम काफी समझदार हो, हमने सुना है कि तुमने पशु-पक्षियों की भाषा भी सीखी है और तुम उनके रहन-सहन से भी परिचित हो। हमें बताओ कि इन तोतों की दलबन्दी और युद्ध किसलिए हो रहा है?
“बीरबल को गाँव उजाड़ने वाली याद आ गई। उन्होंने इस मौके का लाभ उठाने की सोची। वे बोले, “गरीब परवर! इसका उत्तर कुछ कड़वा है। अगर आप नाराज़ न हों तो मैं कहूँ? ‘इसमें नाराज़ होने की क्या बात है?” बादशाह ने कहा। 44 ‘महाराज ! दरअसल इन दोनों दलों में से एक लड़की वालों का और दूसरा पक्ष लड़के वालों का है।
दोनों समधी दहेज के लेन-देन पर झगड़ रहे हैं। लड़के का बाप कहता है कि दहेज में चालीस जंगल दो। लड़की का पिता कहता है कि इस समय इतने जंगल मेरे पास नहीं हैं। ईश्वर की इच्छा होगी तो आगे चलकर इस कमी की पूर्ति कर दूँगा, क्योंकि हमारे • बादशाह को शिकार खेलने का बड़ा शौक है। अभी तो इतने ही जंगल को सुरक्षित किया है।
आगे चलकर बहुत से गाँवों को उजाड़कर जंगलों में बढ़ोत्तरी की जाएगी। तब तुम मुझसे चालीस की जगह पचास जंगल ले लेना। गरीब परवर! ये इसी बात को लेकर लड़ रहे हैं।”यद्यपि बीरबल की उपरोक्त बातें कल्पित थी। फिर भी बादशाह पर उनका प्रभाव पड़ा। उनका मन शिकार खेलने की तरफ से उचट गया। शिकार के शौक के लिए जितने गाँव उजाड़े गए थे, उन्हें हुक्म देकर फिर बसा दिया गया।
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