Dhobi Ka Kutta, Ghar Ka Na Ghat Ka Story In Hindi – एक धोबी परिवार था। उसमें पति-पत्नी और दो छोटे बच्चे थे। जब धोबी गधों पर कपड़े लादकर घाट पर जाता, तो साथ बच्चों को भी ले जाता और दरवाजे पर ताला लगा जाता। धोबी का कुत्ता कभी घर पर रह जाता था और कभी धोबी के साथ चला जाता था। धोबी परिवार सहित अच्छी तरह से रहता था।
बहुत से लोग उनकी खुशहाली से जलते थे। वे अकसर धोबी का बुरा चाहते रहते थे। नुकसान करने के लिए किसी-न-किसी मौके की तलाश में रहते थे। एक बार गर्मी के दिन थे। दोपहर को गतियों में सन्नाटा छाया रहता था। एक दिन दोपहर में किसी ने धोबी के घर का ताला तोड़कर चोरी कर ली। चोर उसके कुछ रुपए और गहने चुराकर ले गए।
जब धोबी काम से वापस आया, तो उसे घर का ताला टूटा मिला। घर में इधर-उधर कपड़े बिखरे पड़े थे। धोबिन ने रोना-पीटना शुरू कर दिया, “हाय, में तो लुट गई। कुछ भी नहीं छोड़ा नासपीटों ने पैसा और जेवर सब ले गए।” तमाम अनाप-शनाप धोबिन बकती रही और गालियां देती रही चोरों को।
धोबी ने कोतवाली में इत्तला की, तो वहां से दरोगा और सिपाही आ गए। उन्होंने परिवार वालों तथा पड़ोसियों से पूछ-ताछ की। लोगों ने बताया कि सब लोग अपने-अपने काम पर गए हैं। औरतें गर्मी की वजह से घर से निकलती नहीं हैं। इसीलिए किसी को चोरी का पता ही नहीं चल पाया।
धोबी ने कोतवाली में इत्तला की, तो वहां से दरोगा और सिपाही आ गए। उन्होंने परिवार वालों तथा पड़ोसियों से पूछ-ताछ की। लोगों ने बताया कि सब लोग अपने-अपने काम पर गए हैं। औरतें गर्मी की वजह से घर से निकलती नहीं हैं। इसीलिए किसी को चोरी का पता ही नहीं चल पाया।
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