Garib Ki Joru Sabki Bhabi Story In Hindi – एक मोहल्ले में एक गरीब परिवार था। उस मोहल्ले में कुछ अमीर थे और ऐसे परिवार अधिक थे जो न अमीर थे और न गरीब थे। गरीब परिवार का दीनू सबको राम-राम करता था। वह सब लोगों के काम भी आता रहता था। उस मोहल्ले में विभिन्न समाज और बिरादरी के लोग थे।
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दीनू के पड़ोस में एक परिवार ठाकुर का था वह बात-बात में दीनू की जोरू को भाभी कहता और कभी-कभी मजाक भी कर लेता था, हालांकि ठाकुर दीनू से उम्र में बड़ा था। इसी प्रकार दीनू के दूसरे पड़ोसी ब्राह्मण देवता थे। एक दिन उसकी पत्नी को दीनू ने बहनजी क दिया, तो ब्राह्मण देवता ने दीनू को साला ही बना लिया। एक दिन दीनू की पत्नी ने ब्राह्मण देवता से भाई साहब कहा तो ब्राह्मण देवता कहने लगा,
“तेरा आदमी तो मेरी पत्नी को बहनजी कहता है और तू मुझे भाई साहब कहती हो। यह कैसा रिश्ता? तेरा आदमी तो मेरा साला हुआ।” उस दिन से ब्राह्मण देवता दोनू और उसकी जोर से साले सलहज का रिश्ता बनाकर बात करता और मौका मिलते ही इसी रिश्ते के अनुसार मजाक करता रहता।
अहीर बिरादरी के लोग दीनू की जोरू से भाभी कहते और मजाक करते रहते उम्र में जो छोटा होता 1 वह भाभी कहता और जो उम्र में बड़ा होता, वह भी भाभी कहता था।
कभी ऐसे भी मौके आते थे कि आपस में काफी कहा-सुनी, तू-तू मैं-मैं और झगड़ा तक हो जाता । गाली-गलौज होती, लेकिन कुछ दिन में सब सामान्य हो जाता और फिर दीनू की जोरू से भाभी कहना शुरू कर देते। कुछ लोग दीनू की बहन से भी मजाक करते रहते थे और जब कभी दीनू के मुंह से उनकी बहन के लिए मजाक निकल जाता तो उसे गाली समझकर वे लोग बेकाबू हो जाते।
कभी-कभी झगड़ा भी कर लेते और वे लोग जब दीनू को गाली देते तो ब्राह्मण देवता आदि कह देते, “क्या है, दीनू तो मेरा साला लगता है। इसी प्रकार जब लोग दीनू की जोरू से मजाक करते तो कह देते, “मेरी तो भाभी लगती है।” जबकि वे लोग दीनू से उम्र में बड़े होते थे।
एक बार दीनू के यहां उसकी बिरादरी का एक बुजुर्ग आया। थोड़ी देर वह उसके दरवाजे पर बैठा रहा और लोगों को दीनू की जोरू से मजाक करता देखता रहा। उसे बहुत बुरा लगा। छोटा है यह भी भाभी कह रहा है, बड़ा है वह भी भाभी कह रहा है। बिरादरी का है वह भी भाभी कह रहा है और जो गैर बिरादरी का है वह भी भाभी कह रहा है। बुडुर्ग जब चलने को हुआ तो बोला, भवा ‘गरीब की जोरु, सबकी भाभी’।
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