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मनहूस कौन | Manahus Kon Story In Hindi

Manahus Kon Story In Hindi- एक दिन सुबह के समय बादशाह अकबर अपने महल के झरोखे में खड़े थे। उसी समय एक ऐसा व्यक्ति महल के नीचे रास्ते से गुजरा, जिसके बारे में कहा जाता था कि वह मनहस है और सुबह-सुबह जो भी उसकी सूरत देख लेता है, उस दिन वह मुसीबतों से घिरा रहता है।

Manahus Kon Story In Hindi

उस व्यक्ति ने बादशाह को सलाम किया और आगे बढ़ गया। बादशाह अकबर सोचने लगे कि क्या यह बात सही है? आज हमने इसका मुँह देख लिया है, देखते हैं, हमारे साथ क्या गुज़रती है। अभी अकबर स्नान कर दरबार में जाने के लिए तैयार हुए ही थे कि उन्हें समाचार मिला कि उनकी बेगम का भाई दुर्घटना में घायल हो गया है।

दरबार में जाने के बदले वह अपने साले को देखने चले गए। लौटते वक्त महल की सीढ़ियों पर चढ़ते समय उनका पाँव फिसल गया और पैर में मोच आ गई। पैर में पट्टी बंधवाकर वे दरबार में पहुँचे। उस दिन बीरबल दरबार में नहीं आया, इसलिए कोई काम नहीं हो सका। ऊबकर वे अपने महल में लौट आए और थोड़ा आराम करने का विचार किया।

अभी उन्हें जरा-सी झपकी आई थी कि बेगम ने उन्हें भोजन करने के लिए बुलाया। आज भोजन करने का उनका मन नहीं था। फिर भी भोजन करने बैठ गए, किन्तु अभी पहला ग्रास ही मुँह में डाला था कि अचानक कहीं से एक मक्खी उनकी थाली में आ गिरी। वे खाना छोड़ कर खड़े हो गए। अब तो उनका गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया। बेगम से भी उनकी कहा-सुनी हो गई और बेगम नाराज़ हो गईं। जैसे-तैसे वह दिन पूरा हुआ।

शाम को वे महल की छत पर गए और एकान्त में बैठकर सोचने लगे कि आज मेरा पूरा दिन खराब गया। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था। आज ही ऐसा क्यों हुआ? यह जरूर उस मनहूस की सूरत देखने का परिणाम है। उन्होंने उसी समय सिपाहियों को हुक्म दिया कि उस मनहूस को गिरफ्तार करके हमारे सामने पेश किया जाए।

सिपाही फौरन उसे पकड़कर ले आए। बादशाह ने उसे फाँसी की सज़ा सुनाई। दरबारियों के पूछने पर उन्होंने पूरी बात बताई कि किस प्रकार इसका मुँह देखने पर उन्हें पूरा दिन परेशान रहना पड़ा।

खबर बीरबल तक भी पहुँची। उन्हें यह गरीब मार होती अच्छी नहीं लगी। वे सीधे कारागार पहुँचे और उस व्यक्ति से मिले और कुछ समझाकर लौट आए।

फाँसी के दिन सिपाही उसे फाँसी के तख्ते के पास ले गए। फाँसी देने के पहले कोतवाल ने उससे उसकी अन्तिम इच्छा पूछी। उसने कहा, “कल सुबह बादशाह ने मेरा मुँह देखा था, इसलिए उन्हें कुछ तकलीफें उठानी पड़ी। कल ही मैंने सबसे पहले उनका मुँह देखा था, इसलिए मुझे आज फाँसी पर चढ़ना पड़ रहा है। कोतवाल साहब! आप दरबार में जाकर बादशाह, दरबारी और नगर की जनता को मेरा यह सन्देश पहुँचा दें कि आज से सुबह के समय कोई बादशाह का मुँह न देखे। जो भी व्यक्ति सुबह के समय बादशाह का मुँह देखेगा, • उसे मेरी तरह फाँसी पर चढ़ना पड़ेगा। बस, यही मेरी अंतिम इच्छा है। “

उस व्यक्ति की यह बात सुनकर कोतवाल स्तब्ध रह गया। कैदी की अन्तिम इच्छा पूरी किए बिना उसे फाँसी नहीं दी जा सकती थी। अतः वह फौरन दरबार की ओर रवाना हो गया और बादशाह को उस व्यक्ति की अंतिम इच्छा बताई, उसकी इच्छा सुनकर भी स्तब्ध रह गए। उन्होंने तुरन्त कैदी की दरबार बुलवाया।

बादशाह ने उससे कहा, “मैं समझ गया, बीरबल की सलाह से ही तुमने इस तरह की समझदारी की बात की है। मुझसे वाकई अन्याय होने जा रहा था। जाओ, मैं तुम्हारी सजा माफ करता हूँ।”

बादशाह ने उस व्यक्ति को पाँच सौ मुहरें भी भेंट में दीं। वह व्यक्ति खुश होकर चला गया। एक निर्दोष के प्राण बचाने के लिए बादशाह ने बीरबल का बहुत आभार माना।

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Rahul Patil
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Rahul Patil is the founder of TechYatri.com, With a bachelor’s degree in computer science, Rahul specializes in delivering insightful gadget reviews, software reviews, Tech trends, and detailed how-to guides. Through TechYatri, he aims to simplify complex tech concepts and provide trustworthy, reliable content to a growing audience of tech enthusiasts.

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