HomeHindi Storiesन रहेगा बांस, न बजेगी बांसुरी | Na Rahega Bans Na Bajegi...

न रहेगा बांस, न बजेगी बांसुरी | Na Rahega Bans Na Bajegi Bansuri Story In Hindi

Na Rahega Bans Na Bajegi Bansuri Story In Hindi- कृष्ण बचपन में बहुत नटखट थे। इनको बचपन से ही बांसुरी बजाने की लगन थी। ग्वाले रोजाना गायें चराने जाते थे। श्रीकृष्ण इनके बीच बांसुरी बजाते रहते थे। उनकी बांसुरी की आवाज सुरीली और मधुर होती थी कि जो भी सुनता था, वह मुग्ध हो जाता था। श्रीकृष्ण के युवावस्था क पहुंचते-पहुंचते बांसुरी की आवाज जादू का काम करने लगी थी। जो भी आवाज सुनता था, वह बांसुरी की ओर इस तरह खिंचता चला आता था जैसे कोई वस्तु चुंबक की ओर खिंची चली आती है।

Na Rahega Bans Na Bajegi Bansuri Story In Hindi

ग्वालों की तरह ग्यातिनें भी बांसुरी सुनने के लिए श्रीकृष्ण के पास पहुंचती थीं। शुरू-शुरू में याति घंटे-दो घंटे बांसुरी सुनकर पी जाती थीं। धीरे-धीरे ग्वालिने बांसुरी सुनने में अधिक-से-अधिक समय बिताने लगीं और घर के काम काज के लिए समय कम रहने लगा।

कुछ ग्वालिनें ऐसी भी होती थीं, जो पर के अपने छोटे बच्चों को छोड़कर बांसुरी सुनने श्रीकृष्ण के पास चली जाती थीं। श्रीकृष्ण पागल की तरह अपनी बांसुरी बजाने में डूबे रहते। तमाम लड़कियां और ग्वालिने उनसे प्रेम करने लगी थीं, लेकिन श्रीकृष्ण थे कि अपनी बांसुरी बजाने में इये रहते।

लोग उन्हें पागल भी कहने लगे थे। कभी-कभी बांसुरी की आवाज रात के सन्नाटे को चीरती हुई दूर-दूर गांवों तक जा पहुंचती थी। ग्वालों और ग्वालिनों पर बांसुरी का एक जादू-सा प्रभाव होता और वे बांसुरी सुनने के लिए अपने-अपने पर से निकल पड़ते थे।

गांवों में बड़ी अव्यवस्था फैल गई जब घर का काम-काज छोड़कर ग्वालिने श्रीकृष्ण के पास चली जातीं, तो घर का बचा हुआ काम घर के वृद्ध लोगों को करना पड़ता। उनके छोटे-छोटे शिशुओं की भी देखभाल करनी पड़ती। फिर लोक-लाज का सवाल भी उठ खड़ा हुआ था।

गांवों की युवा लड़कियां और बहुएं लोक-लाज त्यागकर श्रीकृष्ण की बांसुरी सुनने पहुंच जाती थीं। जब श्रीकृष्ण से कहा गया, तो उन्होंने कहा, “मैं तो अपनी बांसुरी बजाने में डूबा रहता हूं। मैं किसी को बुलाने तो जाता नहीं। आप अपने अपने परिवार वालों को समझाइए कि वे मेरे घर न आएं।

बहू-बेटियां न तो घर वालों की बात मानती थीं और न किसी बाहर वालों का उन्हें डर था। अब तो एक ही रास्ता रह गया था कि श्रीकृष्ण बांसुरी बजाना बंद करें। गांवों के मुखिया, जमींदार आदि सभी परेशान थे। उन्होंने नंदबाबा को समझाया, इसके बाद भी कोई हल नहीं निकला।

गांवों के खास-खास लोग उस क्षेत्र के राजा के पास गए और उनके सामने यह समस्या रखी। सबकी बातें सुनकर राजा ने अपने कारिंदों को आज्ञा दी कि मेरे राज्य में जितने भी बांस के पेड़ हैं, झुरमुट हैं, उनको काट दिया जाए और उनमें आग लगा दी जाए। दूसरे दिन सब बांसों के झुरमुट काटकर उनमें आग लगा दी गई। उसी दिन रात के समय श्रीकृष्ण की बांसुरी उठवाकर नष्ट कर दी गई। तब लोगों ने कहा “न रहेगा बांस, न बजेगी बांसुरी।”

अन्य हिंदी कहानियाँ एवम प्रेरणादायक हिंदी प्रसंग के लिए चेक करे हमारा मास्टर पेजHindi Kahani

Rahul Patil
Rahul Patilhttps://techyatri.com/
Rahul Patil is the founder of TechYatri.com, With a bachelor’s degree in computer science, Rahul specializes in delivering insightful gadget reviews, software reviews, Tech trends, and detailed how-to guides. Through TechYatri, he aims to simplify complex tech concepts and provide trustworthy, reliable content to a growing audience of tech enthusiasts.

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Trending Stories