Sabse Bada Aalsi Story In Hindi- एक शाम को बादशाह अकबर और बीरबल घूमने निकले। बातों ही बातों में अकबर ने बीरबल से कहा, “हमारे दारुल सल्तनत (राजधानी) में बहुत से आलसी लोग होंगे। उनमें से यदि तुम सबसे बड़े आलसी को खोज निकालोगे तो हम तुम्हें भारी इनाम देंगे। “बीरबल ने दूसरे दिन ही यमुना नदी के किनारे एक पंडाल बनवाया और राजधानी भर के आलसियों को भोजन करने के लिए आमंत्रित किया।
आलसियों की टोली भोजन करने के लिए निकली। कुछ लोग जम्हाई लेते-लेते चल रहे थे। कुछ को घिसट घिसट कर चलना पड़ता था। कितने ही आलसी दूसरों के धक्कों से आगे बढ़ रहे थे। सुबह से निकले हुए आलसी दोपहर तक भोजन के पंडाल में पहुँचे। सभी आलसी भोजन करने बैठ गए। भोजन परोसा गया।
अब आलसी तो आलसी ठहरे। खाने की भी मेहनत कौन करता? किसी ने एक कौर लिया तो कौर को मुँह तक लाने के लिए उसका हाथ ही नहीं उठा। किसी ने कौर मुँह में डाला तो भी उसे चबाने की कोई जल्दी नहीं थी। घण्टों बीत गए, लेकिन उनका खाना समाप्त नहीं हुआ। धीरे-धीरे अँधेरा होने लगा। तभी बीरबल के कहने से उसके एक नौकर ने मंडप में आग लगा दी।
आलसी लोग धीरे-धीरे मंडप से बाहर निकलने लगे। उन्हें अपने प्राण बचाने की कोई जल्दी नहीं ‘थी। सभी आलसी एक-एक कर चले गए, पर दो आलसी मंडप में अभी बैठे रहे। उनमें से एक आलसी दूसरे आलसी का सहारा लेकर बैठा था। उसने दूसरे से कहा, “चलो अब हम भी चलें, यहाँ सब कुछ जलने लगा है।
“दूसरे आलसी ने कहा, “तू जा। मैं मंडप से बाहर आने वाला नहीं हूँ। मेरा बेटा मुझे कंधे पर उठाकर यहाँ छोड़ गया था। अब मैं खुद चलकर मंडप के बाहर कैसे जाऊँ? “पहला आलसी धीरे-धीरे बाहर निकल गया। दूसरा आलसी जल मरने को तैयार था, लेकिन स्वयं उठकर मंडप के बाहर जाने को तैयार नहीं था।
बीरबल ने नौकर से उठवाकर उसे मंडप से बाहर किया। दूसरे दिन बीरबल ने इस आलसी को अकबर के सामने हाजिर किया और कहा, । “हुजूर, यह हमारे राज्य का सबसे बड़ा आलसी है। यह जल मरने के लिए तैयार था, लेकिन स्वयं उठकर मंडप से बाहर निकलने के लिए तैयार नहीं था। अतः इसे आप ‘सबसे बड़ा आलसी’ का पदक देकर इसका सम्मान कीजिए।
“इस तरह दारुल सल्तनत (राजधानी) के महा आलसी को खोज निकालने के लिए अकबर ने बीरबल को शाबाशी दी और भारी इनाम से नवाजा।
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