Videshi Ki Matrubhasha Story In Hindi- एक बार अकबर के दरबार में एक विदेशी आया। उसने बादशाह अकबर के सामने एक चुनौती रखी, “आप लोग मेरी मातृभाषा बताइए या फिर स्वीकार कर लीजिए कि आपके यहाँ सब मूर्ख हैं। “दरबारियों ने उससे अलग-अलग भाषाओं में प्रश्न किए। हर भाषा में उसने सही उत्तर दिए।
वह हर भाषा इतनी अच्छी तरह बोलता था कि जैसे वही उसकी मातृभाषा हो। इसलिए कोई भी दरबारी उसकी मातृभाषा का पता नहीं लगा सका। अन्त में उसने अकबर बादशाह से कहा, “मैं अपनी मातृभाषा मालूम करने के लिए आपको सात दिन का समय देता हूँ। कहिए स्वीकार है?
“अकबर ने बीरबल की ओर देखा। बीरबल ने इशारे से हामी भर दी। अकबर ने विदेशी से कहा, “हमें तुम्हारी बात स्वीकार है। ‘विदेशी एक धर्मशाला में ठहरा दिया गया। रात को जब वह सो गया तो बीरबल वहाँ पहुँचे। बीरबल ने एक तिनका लेकर विदेशी के कान में घुमाया।
विदेशी ने सिर झटका और कान पर हाथ फेरा। फिर वह करवट बदलकर सो गया। बीरबल ने उसके दूसरे कान तिनका घुमाया। विदेशी घबराकर उठ बैठा और झल्लाते हुए बोला, “अरे! कोण छे, मने ऊंघमां हेरान करे छे” (कौन है रे? मुझे नींद में परेशान करता है )
विदेशी के कान में तिनका घुमाकर बीरबल छिप गए थे, इसलिए विदेशी उन्हें देख नहीं सका। वह फिर गहरी नींद में सो गया। बीरबल वहाँ से सीधे अपने घर आ गए। सातवें दिन विदेशी दरबार में हाजिर हुआ। बीरबल ने अलग-अलग भाषाओं में उससे बात की। फिर उसने अकबर से कहा, “बादशाह सलामत! इन महाशय की मातृभाषा गुजराती है। “यह सुनकर विदेशी आश्चर्य में पड़ गया।
आज पहली बार कोई उसकी मातृभाषा का सही पता लगा ★ पाया था। उसने बीरबल की भूरि-भूरि प्रशंसा की और दरबार से जाने से पहले बोला, “धन्य है भारत भूमि । जहाँ बीरबल जैसे बुद्धिमान बसते हैं।” उसके जाने के बाद अकबर ने पूछा, “बीरबल ! इतना कठिन कार्य तुमने किया कैसे?
“जहाँपनाह!” बीरबल बोले, “जब व्यक्ति अचानक “क्रोध या आवेश में कुछ बोलता है, तब वह अपनी मातृभाषा में ही बोलता है।” इतना कहकर बीरबल ने उस रात की सारी घटना कह सुनाई। सभी ने बीरबल की प्रशंसा की। अकबर ने • बीरबल को सहर्ष अपने गले का हार भेंट में देकर सम्मानित किया।
ऐसी ही अन्य प्रेरणादायक हिंदी कहानी के लिए क्लिक करें।
अन्य हिंदी कहानियाँ एवम प्रेरणादायक हिंदी प्रसंग के लिए चेक करे हमारा मास्टर पेज – Hindi Kahani