माया तेरे तीन नाम: परसा, परसू, परसुराम | Maya Tere Tin Nam: Parsa, Parsu, Parshuram Story In Hindi

Maya Tere Tin Nam: Parsa, Parsu, Parshuram Story In Hindi- एक बनिया था। जब उसका लड़का मोहल्ले के लड़कों की शोहबत में पड़ा, तो उसे चिंता होने लगी। लड़के की पढ़ाई तो पांचवीं कक्षा में बंद हो गई थी। लड़का गलत आदतें न पाल ले, इसलिए बनिये ने उसे धंधे में लगाने की सोची। बनिया चाहता था कि उसका लड़का धंधे को अपनी मेहनत से बढ़ाए।

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Maya Tere Tin Nam Parsa, Parsu, Parshuram Story In Hindi

इसलिए उसने अपने लड़के को केवल पांच रुपए देकर कहा, “ये पैसे लो और अपना कोई काम करो। “उसने गली-गली में घूम-घूमकर उबले हुए चने बेचने शुरू कर दिए। वह दो सेर चने शाम को पानी में भिगोता और सुबह उबाल लेता। चटनी बना लेता। एक डिब्बा नमक का और एक डिब्बा मिर्च का रखता।

यह सब एक थाल में रखता और एक अंगोछे की इंडुरी बनाकर सिर पर रख लेता। जो जानते थे वे आवाज लगा लेते थे, “आ परसा! एक छटांक चने देना।” कुछ समय में उसने अच्छी बचत कर ली। जब बनिये ने देखा कि इतने पैसों से लड़का और अच्छा काम कर सकता है, तो चाट का खोमचा लगवा दिया।

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लड़का अब सयाना भी हो चला था और कपड़े भी जरा ढंग से पहनने लगा था। उसका खोमचा चल पड़ा। अब लोग उससे कहते, “परसू भाई! दो छटांक दाल के पकौड़े देना। “कुछ सालों में उसने कई हजार रुपए कमा लिए। अब बनिये ने उसको एक दुकान करवा दी। अब उसमें वह बारदाना बेचना शुरू कर दिया।

कुछ ही समय में उसकी दुकान अच्छी चलने लगी। अच्छी कमाई होने लगी। अब वह लाला बनकर गोल टोपी लगाकर गद्दी पर बैठने लगा। उसने सहयोग के लिए दो-एक नौकर रख लिए। अब लोग उसे लाला परसुराम कहकर पुकारने लगे। जब कोई पुराना साथी लाला से मिलता और कहता, “यार, अब तो तुम लाला परसुराम हो गए हो।

अब परसा कहां रहे बनिया जवाब में कह देता, ‘माया तेरे तीन नाम परसा, परसू, परसुराम।’

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