पवन चक्की कैसे काम करती है – How Does Windmill Work in Hindi

दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम देखने वाले है पवन चक्की कैसे काम करती है . आज के समय में लगभग सभी के घरो में बिजली है . हम १ मिनट भी बिना बिजली के नहीं रह सकते . अगर हम गौर करे तो पिछले कुछ सालो से बिजली की उपयोगता काफी ज्यादा मात्रा में बढ़ चुकी है . जितने भी नए अविष्कारों की खोज की जाती है उनमेसे ज्यादा उपकरण बिजली पर ही चलते है!

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दोस्तों अगर देखा जाये तो बिजली कई अलग-अलग प्रकार से उतपन्न की जाती है . उनमे से एक प्रकार है पवन ऊर्जा जो की पवन चक्की की मदत से निर्माण की जाती है . आज के आर्टिकल में हम यही जानेंगे की आखिर पवन चक्की कैसे काम करती है और इससे किस प्रकार ऊर्जा निर्माण होती है . तो चलिए शुरू करते है !

पवन चक्की क्या है – What is windmill in hindi

पवन चक्की को एक मशीन के रूप में परिभाषित किया गया है . जो पवन की गतिज ऊर्जा को यानि की हवा को यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित करती है . पवनचक्की के सभी ब्लेड हमेशा एक दक्षिणावर्त दिशा में घूमते हैं . पवनचक्की का मुख्य उद्देश्य पवन ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करना है !

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पहली पवनचक्की वर्ष 1854 में संयुक्त राज्य अमेरिका के डैनियल हल्लादे द्वारा डिजाइन किया गया थी और आज के समय में लगभग जगभर में पवन चक्की का इस्तेमाल किया जाता है हमारे भारत देश में भी पवन चक्की की मदत से काफी ज्यादा बिजली का उत्पादन किया जाता है भारत में तमिलनाडु एक ऐसा राज्य है जिसमे सबसे ज्यादा पवन ऊर्जा पैदा की जाती है !

दोस्तों बढ़ती बिजली की खपत को ध्यान में रखते हुए पवन ऊर्जा हमारे लिए मानो एक वरदान जैसी है . क्योकि हर क्षेत्र में , हर जगह पर हमें बिजली की जरूरत होती है . इसके लिए ज्यादा से ज्यादा बिजली का उत्पादन करना भी जरुरी होता है . तो चलिए अब जानते है की पवन चक्की कैसे काम करती है !

पवन चक्की कैसे काम करती है ?

एक पवन चक्की बहुत कम मात्रा में बिजली का उत्पादन कर पाती है . इसलिए बड़े पैमाने पर पवन चक्कियों को क्रम में लगाया जाता है . ताकि हमारे उपयोग के लिए पर्याप्त मात्रा में विद्युत् उत्पादित की जा सके . और इस क्षेत्र को पवन ऊर्जा फार्म के नाम से जाना जाता है . हमारे भारत देश में ऐसे कई सारे पवन ऊर्जा फार्म है जहा की पवन ऊर्जा का उत्पाद किया जाता है !

पवन चक्की की संरचना किसी बड़े विद्युत् पंखे की तरह होती है . जिसे एक ध्रुन आधार पर खड़ा किया जाता है . पवन चक्की के ब्लेड को थोड़े झुके हुए तरीके से लगाया जाता है . ताकि सापेक्षिक हवा के गति के अनुसार उसे घुमाया जा सके . जैसे जैसे बाहरी सिरे की और ब्लेड का वेग बढ़ता है सापेक्षित हवा की गति भी बाहरी सिरे की और अधिक झुकती जाती है . इसका मतलब है की ब्लेड को जड़ से लेकर सिरे तक एक सतत घुमाव दिया जाता है !

इस घुमाव को सीधे जनरेटर से नहीं जोड़ा सकता . क्योकि आम तौर पर विंड टरबाइन बहुत कम RPM पर घूमती है . जिसका कारण शोर और यांत्रिक क्षमता से जुडी समस्याए है . इसके धीमे गति से घूमने को ध्यान में रखते हुए हम जनरेटर से पर्याप्त इलेक्ट्रिक फ्रीक्वेंसी उत्प्पन्न कर पाएंगे . इसलिए जनरेटर से जोड़ने से पहले गति को एक गेयर बॉक्स में बढ़ाया जाता है . उच्च गति अनुपात प्राप्त करने के लिए गियरबॉक्स में एक प्लैनेटरी गियर के सेट का प्रयोग किया जाता है !

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ब्रेक का काम बहुत तेज हवा चलने के स्थिति में विंड ब्लेड के रोटेशन को कैद करना होता है . परिणाम स्वरुप पैदा हुए बिजली को खम्बे में लगे हुए केबलों के जरिए बेस की और ट्रांसपर किया जाता है . जहा पर एक स्टेपअप ट्रांसफॉर्मर लगा होता है . ट्रांसफार्मर विद्युत ऊर्जा को एक परिपत से अन्य परिपत में अपेक्षित वोल्टता पर स्थानांतरित कर देता है . अंत में व्युद्युत को ग्रिडों पर भेजा जाता है . जहा से घरेलु और वाणिज्यिक उपयोगो के लिए उसका वितरण किया जाता है !

अधिकतम बिजली पैदा करने के लिए आम तौर पर ब्लेडों का मुँह हवा की और होना चाहिए . लेकिन हवा की दिशा कभी भी बदल सकती है . पवन चक्की के ऊपर लगा वेलॉसिटी सेंसर हवा की गति और दिशा का माप करता है . हवा के दिशा में होने वाले बदलाव को एक इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोलर को भेजा जाता है . जो बदले में पवन चक्की में लगे YAWING MECHANISM को संकेत भेजता है . जैसे ही YAWING MECHANISM को संकेत मिलता है वह उन ब्लेड्स को हवा की दिशा की और घुमा देता है . जिससे की पवन चक्की कभी बंद नहीं होती !

पवन चक्की के फायदे एवं नुकसान

जैसा की पवन ऊर्जा से हमें काफी सारे फायदे होते है वैसे ही हमें इसके कुछ नुकसान भी झेलने पद सकते है तो चलिए जानते है पवन ऊर्जा के फायदे एवं नुकसान !

पवन चक्की के फायदे –

  • पवन ऊर्जा एक अक्षय ऊर्जा स्रोत है जो पर्यावरण के अनुकूल और साफ है .
  • पवन ऊर्जा स्वच्छ ऊर्जा का एक स्त्रोत है .
  • जहा पर भी पर्याप्त मात्रा में पवन ( हवा ) चलती हो वहा पर पवन चक्की को स्थापित किया जा सकता है .
  • पवन ऊर्जा पर बार बार खर्च करने की आवश्यकता नहीं होती .

पवन चक्की के नुकसान –

  • विद्युत् उत्पादन करने के लिए पवन ( हवा ) की न्यूनतम चाल १५ किमी. प्रति घंटा हॉमी चाहिए जो हर स्थान पर उपलब्ध नहीं होती
  • पवन ऊर्जा फर्मो का निर्माण बहुत महंगा होता है .
  • जब पवन ( हवा ) न चाल रही हो तब आवश्यकताओ की पूर्ति करने के लिए आपको वैकल्पिक प्रणाली की व्यवस्ता करनी पड़ती है
  • पवन ऊर्जा फार्म स्थापित करने के लिए बड़े भू-भाग की आवश्यकता होती है जो आसानी से उपलब्ध नहीं होते

अंतिम शब्द

तो दोस्तों यह था पवन चक्की कैसे काम करती है . उम्मीद है आपको पवनचक्की के कार्य प्रणाली के बारे में सम्पूर्ण जानकारी मिल गई होगी . और आपको यह आर्टिकल अच्छा लगा होगा . अगर आपको यह आर्टिकल अच्छा लगा हो तो अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करे . और साथ ही वेबसाइट के नोटिफिकेशन बेल को भी ऑन कर दे . ताकि आने वाले समय में आप कोई भी आर्टिकल मिस ना करे . क्योकि हम ऐसे ही हेल्पफुल आर्टिकल आपके लिए लाते रहते है . अगर आपको इस आर्टिकल से जुडी कोई भी समस्या हो तो आप हमें कमेंट करके पूछ सकते है . धन्यवाद !

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  1. यदि हवा की गति 80 km प्रति घंटा हो तो पवन ऊर्जा कैसे काम करेगी

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