सेल्फ ड्राइविंग कार क्या है और सेल्फ ड्राइविंग कार लेवल्स

आज हम देखने वाले है की सेल्फ ड्राइविंग कार क्या है ? जिसे लोक ड्राइवर लेस कार भी कहते है और सेल्फ ड्राइविंग कार के लेवल्स कोनसे है? इंसान पुराने ज़माने से लेकर अबतक कार्स को खुद ही चलता आ रहा है . लेकिन अब ऐसी भी कार आ चुकी है जिन्हे किसी भी ड्राइवर की आवश्यकता नहीं होती, जिन्हे हम सेल्फ ड्राइविंग कार भी कहते है .

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मशीन हमेशा से ही काम करने के मामले में इंसान से काफी आगे रहा है. यह कार भी कुछ इसी तरह से काम करने वाली है. पुरे विश्व में कार एक्सीडेंट एक बड़ी समस्या के रूप में सामने आ रही है. इसके अनेक कारन हो सकते है .जैसे परिस्थिति का सटीक अंदाजा न होना ,नशा करके कार चलना, कार चलाते समय नींद आना इसके आलावा और भी बहुत सी समस्याएं है. लेकिन यही काम अगर एक मशीन करे तो कैसा रहेगा ? इसी बात को ध्यान में रखते हुए सेल्फ ड्राइविंग कार का अविष्कार किया गया. तो अब हम विस्तार से जानते है की सेल्फ ड्राइविंग कार क्या है और सेल्फ ड्राइविंग कार लेवल्स कोनसे है.

सेल्फ ड्राइविंग कार क्या है ?

यह एक ऐसी कार होती है जो स्वयं ही बिना ड्राइवर के चलती है. जिसे लोक ड्राइवर लेस कार भी कहते है. जिसमे विभिन्न प्रकार के सेंसर, कैमरा, रडार और अर्टिफिशयल इंटेलिजेंस का उपयोग किया जाता है. बहुत सारी ऐसी कंपनिया है जो सेल्फ ड्राइविंग कार का सफल परिक्षण कर रही है. जिसमे प्रमुख नाम है google , BMW, फोर्ड, टेस्ला इत्यादि.आपके लिए गर्व की बात यह है की भारत में भी इस कार का निर्माण टाटा मोटर्स कर रही है.

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यह सेल्फ ड्राइविंग कार एक ऐसी कार होती है जो स्वयं ही बिना ड्राइवर के चलती है. जिसमे विभिन्न प्रकार के सेंसर, कैमरा, रडार और अर्टिफिशयल इंटेलिजेंस का उपयोग किया जाता है.

हम जब भी कोई कार चलाते है तो अपने आसपास देखते, रोड देखते है, ब्रेक कब दबाना है ? यह सबकुछ जो कार ड्राइवर करते है. इसी तरह सेल्फ ड्राइविंग कार को भी यह सब काम करना होता है. जो की अपने निर्णय एक ड्राइव्स की तरह ले सके.

सेल्फ ड्राइविंग कार काम कैसे करती है ?

सेल्फ ड्राइविंग कार एक ऐसी कार है जो बिना ड्राइवर के ही चलती है. लेकिन आपके मन में यह प्रश्न भी आवश्य आया होगा की यह आपने-आप काम कैसे करती है. इसी प्रश्न का उत्तर आपको यहाँ पर मिलने वाला है.

सबसे पहली बात तो यही है की सेल्फ ड्राइविंग भी उसी प्रणाली पर काम करती है जैसे असली इंसान गाड़ी चलाता है. जैसे की कार ड्राइवर अपनी आँखों से रास्ता देखता है और कार कण्ट्रोल करता है. ठीक उसी तरह यह कार भी अपने कैमरा की मदत से आसपास देखकर निर्णय लेती है. इसमें बहुत तरह के कैमरा और सेंसर्स होते है. कार ड्राइव्स जिस तरह से हॉर्न भी सुनता है उसी तरह के अलग-अलग सेंसर की मदत से सेल्फ ड्राइविंग कार असली ड्राइव्स वाली कार की तरह निर्णय लेती है.

सेल्फ ड्राइविंग कार चलाने के लिए सबसे पहले आपको GPS की मदत से सोर्स और डेस्टिनेशन चुनना होता है. यह करने के बाद कार आपको मैप पर अलग-अलग रास्ते दिखा देगी. अब आपको इसमें से कोई एक रास्ता चुनना होगा. तो यह आपको अपने डेस्टिनेशन तक पहुंचा देगी. लेकिन यह काम कैसे करेगी? इसमें कोनसी ऐसी टेक्नोलॉजी और सेंसर्स है जो इसे इतना स्मार्ट बनाते है. तो अब हम इन्हे भी विस्तार से जानने की कोशिश करते है.

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सबसे पहली बात तो यही है की कार में बहुत से हाई क्वालिटी कैमरा लगे हुए है और बहुत सारे स्मार्ट सेंसर्स भी लगे हुए है. जो कार के आस-पास का वातावरण, रास्ते का मैप, रास्ते पर लगे अलग-अलग चिन्ह, कार के आस-पास कोनसी चीजें है? यह सब जानकारी हमेशा ही कार में लगे प्रोसेसर को भेजते रहते है. मिली हुई जानकारी के माध्यम से कार की कंप्यूटर सिस्टम अलग-अलग निर्णय लेकर पूरी कार को कंट्रोल करता है.

कार्यप्रणाली

Observe – आस-पास के क्षेत्र का निरिक्षण अलग-अलग सेंसर्स के माध्यम से किया जाता है, जिसमे कैमरा, सोनार, लिडार, रडार इस्त्यादी शामिल है.

Process – इस में सेंसर के माध्यम से जो डाटा आएगा उसे प्रोसेस किया जाता है. इसके लिए CPU, GPU उपयोग किया जाता है.

Decide – यहाँ पर निर्णय लिया जाता ही कार को क्या करना है. जिसमे स्टेरिंग घूमना, ब्रेक लगाना, हॉर्न बजाना इत्यादि शामिल है. यहाँ पर आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग किया जाता है.

Execute – यहाँ पर कार लिए गए निर्णय पर काम करती है.

प्रमुखता से निचे दी गयी टेक्नोलॉजी और सेंसर है जो सेल्फ ड्राइविंग कार में प्रमुखता से उपयोग में लाये जाते है.

Radar Sensor

गाड़ी के जो दो बम्पर होते है एक आगे वाला और एक पीछे वाला उसमे दो-दो रडार सेंसर लगाए जाते है. रडार सेंसर के पास एक सेंडर होता है और एक रिसीवर होता है. अब सेंडर लाइट को छोड़ेगा और वह लाइट किसी भी चीज से टकराएगी और फिरसे पीछे की तरफ आएगी. अब काम आता है रिसीवर का ,रिसीवर अब वापस आये हुए लाइट की स्पीड कैलकुलेट करेगा और यह पता करेगा की कार से यह जिच कितने दुरी पर है. और उसी तरह से निर्णय लेगा की कार की स्पीड कितनी रखनी है और कहा पर ब्रेक या एक्सीलेटर दबाना है.

High Optic Camera

आपको तो पता ही है की ड्राइविंग के भी कुछ नियम होते है. जैसे की रोड के दाये-बाये और ऊपर कुछ चिन्ह लगे होते है. जो कुछ नियम दर्शाते है. यह चिन्ह मनुष्य को तो आसानी समज में आ जाते है लेकिन एक मशीन इन्हे कैसे समझेगी. इसी का समाधान निकलने के लिए High Optic Camera इसमें जोड़ दिया गया है. यह कैमरा सेल्फ ड्राइविंग कार के ऊपर वाले हिस्से में लगा होता है. यह रास्ते में आने वाले विभिन्न चिन्हो को देखता है और यह जानकारी कार के कंट्रोल सिस्टम को भेजता है. अब इसी जानकारी के आधार पर सेल्फ ड्राइविंग कार का कंप्यूटर सिस्टम योग्य निर्णय लेता है.जैसे की आगे गति रोधक होने के कारन गति पर नियंत्रण करना.

Lidar Sensor

इंसान जैसे आप-पास के क्षेत्र को 3D रूप में देखता है और ठीक से निर्णय लेता है. ठीक उसी प्रकार सेल्फ ड्राइविंग कार में भी किया गया है. इसमें Lidar Sensor गाड़ी के सबसे ऊपर लगाया गया है जहा पर साईरन लगाया जाता है. यह सेंसर कार के आस-पास वाले क्षेत्र की 3D इमेज बनता है और प्रोसेससर को भेजता है. जिससे प्रोसेसर यह पता कर लेता है की कार के आस-पास कोनसी चीजें मौजूद है और कार की स्पीड, ब्रेक कहा लगाना है? यह सब Lidar Sensor की मदत से ही हो पता है.

GPS

GPS तो आप सबको पता ही है जिसे हम Global positioning system भी कहते है. सेल्फ ड्राइविंग कार में जीपीएस कार के लिए रास्ता खोजने में सहायता करता है. जीपीएस के माध्यम से आप कार को चलाने के लिए सोर्स और डेस्टिनेशन दे सकते है. जीपीएस आपको अलग-अलग रास्ते दिखता है उससे आपको एक रास्ता चुनना होता है. कार को मनुष्य की तरह तो रास्ते पता नहीं होते ,तो रास्ता दिखने का सबसे मुख्य कार्य जीपीएस करता है.

इस कार के बारे में सबसे मजेदार बात तो यही है की जब कार का सिस्टम ठीक से काम न करता हो, तो कार अपने-आप ही आपको अलर्ट कर देती है की आप ड्राइविंग करे. अगर फिर भी आप ड्राइविंग नहीं करते तो ठीक समय में यह अपने-आप ही रोड के साइड में जाकर रुक जाएगी.

सेल्फ ड्राइविंग कार लेवल्स

सेल्फ ड्राइविंग कार के बारे में तो हमने जानकारी प्राप्त कर ली है. लेकिन आपको शायद पता नहीं होगा की सभी सेल्फ ड्राइविंग कार एक जैसी नहीं होती है ,उनमे भी अलग-अलग लेवल्स होते है. तो अब हम जानने वाले है की सेल्फ ड्राइविंग कार के लेवल्स कोनसे है.

Level 0 – No Automation

इस लेवल में कोई भी ऑटोमेशन नहीं है. इसमें ड्राइवर को ही कार चलानी होती है. जो हम आज भी कर रहे है ,यही है लेवल जीरो जिसमे सबकुछ कार ड्राइवर को करना पड़ता है. जैसे की स्टेरिंग, ब्रेक, एक्सीलेटर इत्यादि सबकुछ ड्राइवर को ही करना पड़ता है.

Level 1- Driver Assistance

यह लेवल पूरी तरह से ऑटोमेटेड कार नहीं देता है. इसमें कार कुछ ही काम ऑटोमेटिकली करती है बाकि सब ड्राइवर को की करना होता है. इसमें स्पीड मेन्टेन करना, आटोमेटिक पार्किंग, डिस्टेंस मेन्टेन करना इत्यादि काम आटोमेटिक तरीके से होते है. लेकिन यह पूरी तरह से ड्राइवर लेस या सेल्फ ड्राइविंग कार नहीं है.

Level 2 – Partial Automated

इस लेवल में कार ऑटोमेशन प्रोवाइड किया जाता है, लेकिन यह पूरी तरह से सटीक नहीं है. टेस्ला कंपनी ने सेल्फ ड्राइविंग कार में ऑटो पायलट मोड दिया है जो की लेवल २ को पूरा करता है. लेवल २ में कार कुछ ही ड्राइविंग मोड में ऑटोमशन दे सकती है. इसमें कार ऑटोमेटिकली ड्राइव होती है लेकिन ड्राइवर को हमेशा तैयार रहना पड़ता है. अगर कोई समस्या आए जाये तो ड्राइवर को ही कार चलानी होती है. यह काफी जोखिम भरा हो सकता है.

Level 3 – Conditional Automation

लेवल ३ में कार सभी तरह के काम अपने-आप की करती है. इसमें आपको सेल्फ़ ड्राइविंग कार मिलती है, लेकिन फिर भी ड्राइवर का नियंत्रण भी होना जरुरी है. अगर कार का सिस्टम ठीक से काम नहीं कर रहा तो कार आपको वार्निंग देती है की आप कार का कंट्रोल लेकर कार चलाये. यह आपको थोड़े समय पहले ही वार्निंग दे देती है. अभीतक ऑडी कार में लेवल ३ ऑटोमेशन उपलब्ध है.

Level 4 -High Automation

यह लेवल काफी ज्यादा ऑटोमेशन प्रोवाइड करती. जिसमे लगभग-सभी काम कार ऑटोमेटिकली करेगी. इसमें सेल्फ ड्राइविंग कार खुद ही ड्राइव होगी, ब्रेक, एक्सीलेटर, हॉर्न इसके आलावा सभी काम अपने-आप ही करेगी. लेकिन इसमें भी एक समस्या है की यह केवल कुछ ड्राइविंग मोड पर ही काम कर सकती है. इसमें एक खास बात यह भी है की, अगर कार की सिस्टम में कुछ समस्या आती है तो कार आपको अलर्ट करेगी की आप कंट्रोल ले. फिर भी अगर आप कंट्रोल नहीं लेते, तो कार सुरक्षित सड़क के किनारे जाकर रुक जाएगी.

Level 5 – Full Automation

यह लेवल सेल्फ ड्राइविंग कार का अंतिम लेवल है जो कार को पूरी तरह से ड्राइवर लेस बनाता है. जिसमे ड्राइवर की आवश्यकता ही नहीं होगी. जिसमे स्टेयरिंग शायद नहीं भी होगा. यह कार लगभग सभी ड्राइविंग मोड में काम कार सकती है. इस कार में आप अपने काम कार सकते है बिना चिंता किये. यह आपको सभी तरह की सुरक्षा भी देने वाली है. लेकिन यह कार अभीतक बनी नहीं है. गूगल और अन्य कुछ कंपनीया है जो लेवल ४ और लेवल ५ पर काम कार रही है.

लेकिन मुख्य बात यही है की हम अबतक लेवल २ पर ही काम कार रहे है. कुछ कंपनी अगले लेवल पर भी काम कर रही है ,लेकिन अभीतक लेवल २ तक ऐसी सफलता मिली है की हम ऑटोमेशन सिस्टम कार में ला सके.

उम्मीद है की आपको यह पोस्ट जरूर पसंद आयी होगी. आपको इसमें सेल्फ ड्राइविंग कार क्या है ?,सेल्फ ड्राइविंग कार काम कैसे करती है ?,सेल्फ ड्राइविंग कार लेवल्स के बारे में बहुत कुछ सिखने को मिला है. अगर आपके मन में ड्राइवर लेस कार या सेल्फ ड्राइविंग कार के बारे में कोई प्रश्न हो तो कमेंट करे.
धन्यवाद !

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