दोस्तों आज के आर्टिकल में हम देखने वाले हैं C language in hindi जिसमें आपको C programming full course बेसिक से लेकर एडवांस तक हिंदी में मिलने वाला है.
अगर आप किसी भी प्रकार की प्रोग्रामिंग सीखना चाहते हो तो सबसे पहले आपको सी लैंग्वेज आना अनिवार्य है. क्योंकि सी लैंग्वेज कंप्यूटर की बेसिक प्रोग्रामिंग लैंग्वेज मानी जाती है. सी लैंग्वेज कंप्यूटर की मदर लैंग्वेज होती है इससे अन्य प्रोग्रामिंग लैंग्वेज एस का जन्म हुआ है.
अगर आप सच में सॉफ्टवेयर इंजीनियर या प्रोग्रामर बनना चाहते हैं तो आप यह आर्टिकल शुरू से लेकर लास्ट तक जरूर पढ़े क्योंकि इसमें हम आपको बेसिक से लेकर एडवांस तक पूरी सी लैंग्वेज हिंदी में सिखाने वाले हैं.
C Programming Language क्या है (What is c Programming Language in Hindi)
C programming language हाई लेवल प्रोग्रामिंग लैंग्वेज है. जिसे Dennis Ritchie ने बनाया था. सी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का इस्तेमाल करके आप सॉफ्टवेयर या ऑपरेटिंग सिस्टम बना सकते हैं.
सी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज बनाने का मुख्य उद्देश्य था ऑपरेटिंग सिस्टम बनाने वाली लैंग्वेज Develop करना. इसी हेतु से सी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का आविष्कार किया गया था. बाद में उसे कंप्यूटर प्रोग्राम बनाने के लिए भी उपयोग में लाया गया जिससे कि उपयोगी सॉफ्टवेयर बन सके.
सी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज को सभी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का पेज भी कहा जाता है क्योंकि सभी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज सी पर बेस है.
सी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज को सभी प्रोग्रामिंग लैंग्वेजेस की मदर लैंग्वेज क्यों कहा जाता है ?
सी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज को सभी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज की मदर लैंग्वेज कहा जाता है क्योंकि C लैंग्वेज में इस्तेमाल होने वाले kernal, JVM, Compiler सी लैंग्वेज में ही लिखे गए हैं. और ज्यादातर प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के सिंटेक्स C लैंग्वेज के सिंटेक्स से ही मिलते जुलते होते हैं. जैसे की java,C++,C# इत्यादि.
सी लैंग्वेज में इस्तेमाल होने वाले सभी बेसिक सिंटेक्स दूसरी सभी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में भी इस्तेमाल किए जाते हैं जैसे कि Array, List, Operator, Loops, Functions, List इत्यादि
C procedure oriented programming है –
सी लैंग्वेज को procedure oriented programming कहा जाता है क्योंकि सी लैंग्वेज में program Execution का जो फ्लोर होता है वह टॉप से लेकर बॉटम तक होता है. सी लैंग्वेज में एक प्रोसीजर लिखी जाती है जो टॉप से बॉटम तक Execute होती है और टास्क पूरा करती है.
C programming language को System programming language कहा जाता है ?
सी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज को System programming language भी कहा जाता है क्योंकि C लैंग्वेज में ज्यादातर Operating System, Device driver, compiler या Kernel भी लिखे जाते हैं.
सी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज को मिडिल लेवल प्रोग्रामिंग लैंग्वेज भी कहा जाता है क्योंकि सी लैंग्वेज हाई लेवल और मिडल लेवल प्रोग्रामिंग को भी सपोर्ट करती है. क्योंकि सी लैंग्वेज में pointer और अन्य मशीन लेवल के ऑपरेशन भी किये जाती है.
C लैंग्वेज का इतिहास (History of C language in hindi)
C programming language का आविष्कार 1972 में Dennis Ritchie के द्वारा AT&T लेबोरेटरी में किया गया था. Dennis Ritchie को सी लैंग्वेज का फाउंडर भी कहा जाता है. सी लैंग्वेज एक ऐसी लैंग्वेज है जो सबसे पहले ऑपरेटिंग सिस्टम बनाने के लिए विकसित की गई थी बाद में उसे कंप्यूटर के प्रोग्राम और सॉफ्टवेयर बनाने के लिए भी उपयोग में लाया गया.
सी लैंग्वेज के पहले भी कुछ कंप्यूटर प्रोग्रामिंग लैंग्वेज इज मौजूद थे जिनका नाम था B, BCPL इत्यादि. लेकिन इन प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में कुछ कमियां थी जिसे Dennis Ritchie ने सी लैंग्वेज द्वारा दूर किया.
जैसा कि हमने देखा कि सी लैंग्वेज पुरानी कुछ प्रोग्रामिंग लैंग्वेज की कमियां दूर करने हेतु बनाई गई थी तो किसी कारणवश सी लैंग्वेज में पुराने कुछ लैंग्वेजस की प्रॉपर्टी इस्तेमाल की गई थी. सी लैंग्वेज पूरी तरह से नई लैंग्वेज नहीं बनाई थी वह पुरानी लैंग्वेज का ही एक एडवांस वर्जन था.
ऐसी कौनसी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज है जो C programming language से पहले उपयोग में लाई जाती थी –
लैंग्वेज का नाम | किसने खोजी | कब खोजी गयी |
Algol | International Group | 1960 |
BCPL | Martin Richard | 1967 |
B | Ken Thompson | 1970 |
Traditional C | Dennis Ritchie | 1972 |
K & R C | Kernighan & Dennis Ritchie | 1978 |
ANSI C | ANSI Committee | 1989 |
ANSI/ISO C | ISO Committee | 1990 |
C99 | Standardization Committee | 1999 |
C लैंग्वेज के फीचर कोनसे है (features of C language in hindi)
दोस्तों अब हम C language in hindi में देखने वाले है कुछ C लैंग्वेज के प्रमुख फीचर जो C language को खास बनाते है –
1. Procedural Oriented-
सी लैंग्वेज को Procedural Oriented language भी कहा जाता है क्योंकि सी लैंग्वेज object oriented के किसी भी feature को सपोर्ट नहीं करती. सी लैंग्वेज में होने वाले सभी ऑपरेशन एक प्रोसीजर के रूप में होते हैं.
Procedural Oriented Language में प्रोग्राम का Execution टॉप से बॉटम तक होता है. जिसमें कंपाइलर Top से Bottom तक प्रोग्राम को कंपाइल करता है और operation परफॉर्म करता है.
2. Simple-
C लैंग्वेज को सिंपल लैंग्वेज कहा जाता है क्योंकि C language में इस्तेमाल होने वाले प्रोग्रामिंग सिंटेक्स काफी सिंपल होते हैं. और सी लैंग्वेज समझने में भी काफी आसान होती हैं.
C लैंग्वेज अलग-अलग प्रकार की लाइब्रेरी को सपोर्ट करती है जिसकी वजह से ही प्रोग्रामिंग करना काफी आसान हो जाता है क्योंकि सी में इस्तेमाल होने वाली सभी लाइब्रेरी प्रीटिफाई होती है जो कि पहले से ही लिखी होती है.
3. Portable-
C लैंग्वेज को portable प्रोग्रामिंग लैंग्वेज भी कहा जाता है क्योंकि सी लैंग्वेज में किया हुआ प्रोग्राम दूसरे किसी अन्य मशीन में execute हो सकता है. इसके लिए दोनों मशीन के स्पेसिफिकेशन(specifications) समान रखने की आवश्यकता है.
अगर इसका उदाहरण देखे तो अगर हमने एक windows 10 32 bit कंप्यूटर में C का एक का प्रोग्राम किया है तो वहीं समान प्रोग्राम हम दूसरे windows 10 32 bit मशीन में भी रन कर सकते हैं.
4. Functions & Libraries
सी लैंग्वेज काफी सारे फंक्शन और लाइब्रेरी को सपोर्ट करती है. जिसकी वजह से प्रोग्रामर को प्रोग्रामिंग करने में काफी आसानी हो जाती है. क्योंकि सी में दी गई लाइब्रेरी और फंक्शन pre-define होते हैं जो कि किसी कार्य को पूरा करने हेतु बनाई गई होती है.
अगर इसका एक अच्छा उदाहरण हम मान ले तो C में math नाम की एक लाइब्रेरी है जिसमें हमें गणित से संबंधित काफी सारे फंक्शन मिल जाते हैं जिसकी मदत से आप बिना कोडिंग किए गणितीय ऑपरेशन पुरे कर सकते है.
5. Pointer-
C language pointer concept को भी सपोर्ट करती है जिसकी मदद से हम डायरेक्ट मेमोरी से कनेक्ट हो सकते हैं. इसीलिए C language का उपयोग ऑपरेटिंग सिस्टम बनाने के कार्य में या किसी भी ऐसे कार्य में किया जाता है जो सीधे सिस्टम से जुड़े हो.
प्वाइंटर का उपयोग किसी भी लोकेशन को पॉइंट करने के लिए किया जाता है जिसकी मदद से हम उसने मेरी लोकेशन को एक्सेस कर सकते हैं.
6. Extensible
C लैंग्वेज को Extensible programming language कहा जाता है क्योंकि सी लैंग्वेज में हम काफी आसानी से नई पिक्चर adopt कर सकते हैं .
यह C लैंग्वेज का काफी अच्छा feature है जिसकी मदद से हम सी लैंग्वेज में new features बड़ी आसानी से adopt करते हैं.
7. C memory management-
सी लैंग्वेज मेमोरी मैनेजमेंट को काफी अच्छे से सपोर्ट करती है. इसके साथ ही सी लैंग्वेज Dynamic memory allocation को भी सपोर्ट करती है. जिसकी मदत से हम dynamically मेमोरी को free या allocate कर सकते हैं.
जिसके लिए – calloc() , malloc() , free() फंक्शन्स का इस्तेमाल किया जाता है.
8. General purpose language-
सी लैंग्वेज को General purpose language भी कहा जाता है क्योंकि सी लैंग्वेज का इस्तेमाल ज्यादातर ऑपरेटिंग सिस्टम, डिवाइस ड्राइवर बनाने के लिए किया जाता है.
और कुछ बेसिक सॉफ्टवेयर जैसे की फोटो एडिटिंग सॉफ्टवेयर वीडियो एडिटिंग सॉफ्टवेयर में भी सी लैंग्वेज का इस्तेमाल किया जाता है.
और ज्यादातर डेटाबेस भी सी लैंग्वेज में बनाए जाते हैं इसीलिए सी लैंग्वेज को General purpose language भी कहा जाता है.
9. Modularity-
modularity का अर्थ होता है की ,हम c लैंग्वेज में कोड को लाइब्रेरी के फॉर्म में स्टोर कर सकते है और जब भी जरुरत पड़े उसे फिरसे इस्तेमाल कर सकते है.
यह C लैंग्वेज का काफी अच्छा फीचर है जिसकी मदत से हम एक बार लिखा गया कोड कही जगह इस्तेमाल कर सकते है.
10. Statically Type Language-
C एक Statically Type Language है जिसका मतलब होता की हम जब भी C लैंग्वेज का प्रोग्राम का लिखते है तो variable का टाइप कोनसा है यह compile टाइम पर चेक किया जाता है न की रन टाइम पर.
अब आपके मन में सवाल आया होगा की variable क्या होता है ? तो चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं ,क्योंकि हम C language in hindi में आगे इसपर भी बात करने वाले है.
C language tutorial in hindi
अब हम देखने वाले है C language tutorial in hindi- जिसमे हम C language से सम्बंधित पूरा कोर्स हिंदी में उदहारण के साथ देखने वाले है। अगर आप भी C language हिंदी में सीखना चाहते हो तो पूरा आर्टिकल जरूर पढ़े.
C language in hindi full course contents –
- C language Basic Syntax
- C language Keywords
- C language Data Types
- C language Variables
- C language Operators
- C language Decision Making
- C language Array
- C language Strings
- C language Structure
- C language Loops
- C language Input & Output
- C language Functions
- C language Pointer
दोस्तों अगर आप नए है और C लैंग्वेज को हिंदी में सीखना चाहते हो तो यह c language tutorial हिंदी में आपके लिए है. जिसमे हम C language basic in hindi में कवर करने वाले है.
1. C language Basic Syntax क्या है
अगर आप C langauge में नए है और उसे सीखना चाहते हो तो सबसे पहले आपको C langauge का Syntax ध्यान में रखना आवश्यक है. निचे दिया गया Syntex C language का सबसे basic सिंटेक्स है जिसके बिना C language का कोई भी प्रोग्राम पूरा नहीं होता.
#include<stdio.h>
#include<conio.h>
void main()
{
printf("Hello");
getch();
}
Program | Meaning |
#include<stdio.h> | यह C langauge की header file है जिसमे predefine फंक्शन होते है(Eg. printf()) |
#include<conio.h> | यह C langauge की header file है जिसमे predefine फंक्शन होते है(Eg. getch()) |
void main() | यहाँ से program का execution स्टार्ट होता होता है |
{ | प्रोग्राम में जो भी इंस्ट्रक्शन लिखे जाते है वह सब { के बाद लिखते है |
printf(“Hello”); | यह Function यूजर की स्क्रीन पर मैसेज दिखाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है |
getch(); | यह फंक्शन केवल विंडो सिस्टम के लिए आउटपुट स्क्रीन को दिखाने के लिए उपयोग में लाया जाता है |
} | यह चिन्ह दर्शाता है की आपका प्रोग्राम, फंक्शन ,लूप ख़तम हुआ है |
2. C language Keywords क्या है
इसके बाद C language basic in hindi में अब हम बात करने वाले है C language के कीवर्ड क्या होते है इसके बारे में. तो आपको में बता दू की C language में जो keyword होते है वह कुछ ऐसे शब्द होते है जो लैंग्वेज बनाने वाले ने कुछ खास कार्य करने के लिए बनाये होते है. जो आप प्रोग्राम लिखते समय लिखते है. इन्ही सब कीवर्ड का मिलकर एक पूरा प्रोग्राम बनता है.
C language के keywords कोनसे है ?
double | else | long |
auto | switch | break |
enum | register | typedef |
case | extern | return |
union | char | float |
short | unsigned | const |
for | signed | void |
continue | goto | volatile |
default | if | static |
while | do | int |
struct | sizeof | _Packed |
3. C language Data Types क्या है
C language में Data type का इस्तेमाल Variable को Declare करने के लिए किया जाता है. वरीबाले किस प्रकार का डाटा स्टोर करेगा यह हमे डाटा टाइप से पता चलता है। इसीलिए C language में डाटा टाइप का काफी महत्व है।
निचे दिए गए कुछ डाटा टाइप्स है जो C language में इस्तेमाल किये जाते है-
Data Type | Data Type Size | Data Type Value Range |
char | 1 byte | -128 to 127 or 0 to 255 |
unsigned char | 1 byte | 0 to 255 |
signed char | 1 byte | -128 to 127 |
int | 2 or 4 bytes | -32,768 to 32,767 or -2,147,483,648 to 2,147,483,647 |
unsigned int | 2 or 4 bytes | 0 to 65,535 or 0 to 4,294,967,295 |
short | 2 bytes | -32,768 to 32,767 |
unsigned short | 2 bytes | 0 to 65,535 |
long | 8 bytes or (4bytes for 32 bit OS) | -9223372036854775808 to 9223372036854775807 |
unsigned long | 8 bytes | 0 to 18446744073709551615 |
C language data type का example निचे दिया गया है –
int a;
long b=200;
float x=1.14;
char s="a";
4. C language Variables क्या है ?
प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में किसी भी प्रकार का डाटा स्टोर करने के लिए जो memory लोकेशन को नाम दिया जाता है उसे variable कहा जाता है. C language में कही प्रकार के variable होते है जो डाटा टाइप से अगल-अलग होते है.
C language में variable declaration के rules कौनसे है ?
- Variable की शुरुवात किसी भी नंबर या स्पेशल symbol से न हो
- Variable में आप किसी भी alphabet या _ स्पेशल कॅरक्टर के बाद कोई भी नंबर इस्तेमाल कर सकते हो
- वेरिएबल केस सेंसटिव होते है
- उदहारण – int a; float b1; char _name3;
Variable Defination – Variable Defination का अर्थ होता है की केवल variable define किया है, की उसका नाम क्या होगा डाटा टाइप कौनसा होगा. लेकिन उसे कोई भी वैल्यू असाइन नहीं की जाती है.
Eg. int a;
Variable initialization – variable initialization में variable के डाटा टाइप के हिसाब से वैल्यू असाइन की जाती है.
Eg. int a = 5;
C language variable scope in hindi – C language में 3 प्रकार के variable स्कोप होते है जो निचे दिए गए है –
1. Local Variable Scope – जिस variable का access केवल एक ब्लॉक के अंदर होता है उसे local variable कहा जाता है.
2. Global Variable – जिस variable का access पुरे प्रोग्राम के अंदर होता है उसे Global variable कहा जाता है.
#include <stdio.h>
#include<conio.h>
/*global variable*/
int a = 20;
int main () {
/* local variable declaration */
int a = 10;
printf ("value of a = %d\n", a);
getch()
;
}
5. C language Operators कौनसे है
C language में variable के साथ कोई भी ऑपरेशन परफॉर्म करने के लिए ऑपरेटर का उपयोग किया जाता है. C language में निचे दिए गए operator का इस्तेमाल किया जाता है-
1. Arithmetic Operators क्या है ?
Arithmetic Operators का उपयोग नंबर से संबंधित या गणितीय ऑपरेशन संबंधित ऑपरेशन को परफॉर्म करने हेतु किया जाता है. निचे दिए गए कुछ ऑपरेटर है –
C language Arithmetic ऑपरेटर | डिस्क्रिप्शन | उदाहरण (int a=5, int b=5) |
+ | प्रोग्राम में Addition(+) या दो variable की value को जोड़ने का काम करता है | a + b = 10 |
– | प्रोग्राम में माइनस(-) का काम करता है | a – b = 0 |
* | प्रोग्राम में गुणाकार(*) का काम करता है | a * b = 25 |
/ | प्रोग्राम में विभाजन(/) का काम करता है | a / b = 1 |
++ | Variable की value तो 1 से Increment (बढ़ाना) का काम करता है | a++ = 6 |
— | Variable की value तो 1 से Decrement (घटाना) का काम करता है | a– = 4 |
% | विभाजन के बाद modulus ऑपरेटर और रिमाइंडर देता है | b % a |
2. Relational Operators क्या है ?
रिलेशनल ऑपरेटर का इस्तेमाल दो या दो से ज्यादा variable का एक दूसरे से रिलेशन चेक करने के लिए किया जाता है. या इसका उपयोग कर के आप variable की एक-दूसरे के साथ तुलना भी करते है.
Relational Operator से मिलने वाला आउटपुट True या False में होता है. तो निचे दिए गए रिलेशनल ऑपरेटर है जिनका उपयोग स प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में किया जाता है –
C language Relational ऑपरेटर | डिस्क्रिप्शन | उदाहरण (int a=5, int b=5) |
< | a < b False | |
> | a > b False | |
<= | a <= b True | |
>= | a >= b True | |
== | a == b False | |
!= | a != b True |
3. Logical Operators क्या है ?
logical ऑपरेटर का इस्तेमाल कर के आप दो variable की कंडीशन एकसाथ चेक कर सकते है. तो निचे दिए गए कुछ प्रमुख लॉजिकल ऑपरेटर है जिन्हे हम उदहारण के साथ समझते है –
C language Logical ऑपरेटर | डिस्क्रिप्शन | उदाहरण (int a=5, int b=5) |
&& | AND ऑपरेटर का इस्तेमाल उस समय पर किया जाता है जब सभी conditions true होनी चाहिए तभी वैल्यू true return होगी | a > b && a ==b False |
|| | OR ऑपरेटर का इस्तेमाल उस समय पर किया जाता है जब सभी conditions में से कोई भी एक true होनी चाहिए तभी वैल्यू true return होगी | a > b || a ==b True |
! | NOT ऑपरेटर का इस्तेमाल AND और OR की कंडीशन को उल्टा करने के लिए किया जाता है | ! (a > b ) True |
4. Bitwise Operators क्या है ?
अबतक हमने C language in hindi में बहुत से ऑपरेटर देखे लेकिन यह ऑपरेटर उस सभी से थोड़ा लग है. इसमें bit पर ऑपरेशन परफॉर्म किया जाता है. जो की bit by bit ऑपरेशन होता है. निचे हमने bitwise ऑपरेटर उनके उदहारण के साथ दिए है –
C language Bitwise ऑपरेटर | डिस्क्रिप्शन | उदाहरण |
& | बाइनरी AND ऑपरेटर | a & b |
| | बाइनरी OR ऑपरेटर | a | b |
^ | बाइनरी XOR ऑपरेटर | a ^ b |
>> | बाइनरी RIGHT SHIFT ऑपरेटर | a >>3 |
<< | बाइनरी LEFT SHIFT ऑपरेटर | a <<3 |
~ | बाइनरी ONES COMPLIMENT ऑपरेटर | ~a |
5. Assignment Operators क्या है ?
किसी भी variable को वैल्यू assign करने के लिए assignment operator का इस्तेमाल किया जाता है. निचे C language tutorial in hindi में assignment ऑपरेटर के उदहारण दिए है –
C language Assignment ऑपरेटर | डिस्क्रिप्शन | उदाहरण |
= | Variable को वैल्यू assign करने के लिए = ऑपरेटर का इस्तेमाल किया जाता है | 1.a =5 2.a =b |
+= | यह ADD AND assignment ऑपरेटर है | b +=a |
-= | यह SUBSTRACT AND assignment ऑपरेटर है | b -=a |
*= | यह MULTIPLY AND assignment ऑपरेटर है | b *=a |
/= | यह DEVIDE AND assignment ऑपरेटर है | b /=a |
%= | यह MODULE AND assignment ऑपरेटर है | b %=a |
<<= | यह LEFT SHIFT AND assignment ऑपरेटर है | a <<3 |
>>= | यह RIGHT SHIFT AND assignment ऑपरेटर है | a >>3 |
&= | यह BETWISE AND assignment ऑपरेटर है | b &=a |
|= | यह Bitwise Inclusive OR और ऑपरेटर है | b | =2 |
^= | यह Bitwise exclusive OR और ऑपरेटर है | b ^=2 |
6. Ternary Operator क्या है ?
यह ऑपरेटर कुछ खास प्रकार के ऑपरेटर होते है ,जिनका उपयोग ज्यादा नहीं किया जाता लेकिन वह कभी-कभी काफी काम में आते है. तो अब हम Ternary Operator क्या है इसके बारे में उदाहरण के माध्यम से जानते है –
C language Ternary ऑपरेटर | डिस्क्रिप्शन | उदाहरण |
?: | condition expression डालने के लिए | c = a > b ? “a is greater than b” : “a is less than b”; |
& | वेरिएबल का address return करता है | &a; |
* | variable को पॉइंट करता है | *a; |
sizeof() | variable की size return करता है | sizeof(b) |
6. C language Decision Making क्या है ?
अबतक हमने जो भी देखा वह सब ज्यादातर बेसिक में ही आता है ,लेकिन अब हम देखने वाले है C language Decision Making के बारे में. जिसमे हमे प्रोग्राम का फ्लो कैसा होना चाहिए यह दर्शाने में मदत होती है.
उदहारण देखा जाये तो मान लेते है की हम Login का program लिख रहे है जिसमे हमे फ्लो देना है की अगर पासवर्ड करेक्ट है तो एडमिन पैनल दिखाये या फिर पासवर्ड गलत हो तो रॉंग पासवर्ड का मैसेज दिखाए. ऐसेही बहुत सारे Decision लेने के लिए Decision Making का इस्तेमाल किया जाता है.
Decision Making के लिए निचे दिए गए स्टेटमेंट का उपयोग किया जाता है –
1. if statement क्या है ?
c लैंग्वेज में if statement का इस्तेमाल कंडीशन को चेक करने के लिए किया जाता ह. जैसे की मन लेते है की हमे दो वेरिएबल की कंडीशन चेच करनी है जिसके लिए हमे रिलेशन ऑपरेटर की आवश्यकता पड़ने वाली है.
int a = 5 ;
int b = 5 ;
if(a == b )
{
printf("condition is true");
}
//aoutput
condition is true
2. if …else statement क्या है ?
हमने अभी C language in hindi में if कंडीशन के बारे में जाना केलिन कहिबार हमे ऐसा भी दिखाना होता है की यूजर अगर गलत वैल्यू एंटर करे तो उसे कुछ अलग फ्लो में ले जाना होता है या उसे रॉंग इनपुट का मैसेज दिखाना होता है.
इसके लिए C लैंग्वेज में if …else statement का उपयोग किया जाता है.
int a = 5 ;
int b = 3 ;
if(a == b )
{
printf("condition is true");
}
else
{
printf("condition is false ");
}
//aoutput
condition is false
3. if …else ladder क्या है ?
कहिबार हमे C लैंग्वेज में अनेक बार कंडीशन चेक करनी होती है ऐसे में केवल if….else statement से काम नहीं चलता। उस वक्त हमे if …else ladder का उपयोग करना पड़ता है.
int a = 1;
if(a == 1 )
{
printf("one");
}
else
if(a == 2)
{
printf("two");
}
else
if(a == 3)
{
printf("three");
}
else
{
printf("wrong choice");
}
//aoutput
one
4. switch statement क्या है ?
कहिबार हमे एक ही कंडीशन या अनेक केसेस में टेस्ट करना पड़ता है ऐसे में हम if …else ladder का भी इस्तेमाल कर सकते है. लेकिन इससे भी आसान एक तरीका है जिसका नाम है switch statement . इसकी मदत से हम एक ही एक्ष्प्रेस्सिओं कही केसेस में टेस्ट कर सकते है.
int a = 3;
switch(a)
{
case 1 :
printf("one");
break;
case 2 :
printf("two");
break;
case 3 :
printf("three");
break;
default :
printf("wrong choice");
break;
}
//aoutput
three
7. C language Array क्या है ?
array को C language का data structure कहा जाता है. array समान सत्ता टाइप के memory block बनता है जो की same datatype की अनेक वैल्यूज को स्टोर करता है.
C language में array कैसे डिक्लेअर करते है ?
data type arrayName [ arraySize ];
int a[3];
इस उदहारण में जो array declare किया है वह integer datatype के 3 memory block बनाएगा जो की a[0], a[1], a[2] होगा.
C language में array कैसे initialize करते है ?
a[0] = 1;
a[1] = 2;
a[2] = 3;
array को values assign किये है अब हमे देखना है की values को कैसे access करनी है –
printf(a[0]);
printf(a[1]);
printf(a[2]);
/output
1 2 3
8. C language Strings क्या है ?
characters अगर हम एक sequence में लिखे तो उसे string कहा जाता है. C language में अगर string declare करनी हो तो हमे characters का array declare करना होता है.
अगर हम simple character array declare करते है तो वह ऐसा आएगा –
char a[10] = {'T','E','C','H','Y','A','T','R','I','\0'};
लेकिन यह तरीका ज्यादा आसान नहीं लगता इसीलिए C language में string concept इस्तेमाल की जाती है. C लैंग्वेज में अगर string define और declare करनी हो तो निचे दिया गया syntax इस्तेमाल किया जाता है –
char a[] = {"TECHYATRI"};
C language में string end करने के लिए \0 का इस्तेमाल किया जाता है. हमे यहाँ पर स्ट्रिंग के लिए कही सारे pre-define function है जिनके बारे में है.
strcpy(string1 , string1) – एक string दूसरे string में कॉपी करने के लिए इस फंक्शन का उपयोग किया जाता है.
strcat(string1 , string1) – एक string दूसरे string में join करने के लिए इस फंक्शन का उपयोग किया जाता है.
strlen(string1) – string की length find करने के लिए इस फंक्शन का उपयोग किया जाता है.
strcmp(string1 , string1) – एक string दूसरे string से compare करने के लिए इस फंक्शन का उपयोग किया जाता है.
9. C language Structure क्या है ?
अब हम C language in hindi में Structure क्या है इसके बारे में जानने वाले है. अबतक हमने देखा की C लैंग्वेज में variable एक datatype की स्टोर करता है. लेकिन कहिबार हमे ऐसे data structure की आवश्यकता होती है जो अनेक datatype के variables को सपोर्ट करे.
ऐसे में C language में स्ट्रक्चर का इस्तेमाल किया जाता है. निचे दिए गए syntax से हम structure define कर सकते है –
struct structure_name {
datatype variable1;
datatype variable2;
....
datatype variable-n;
} structure_variable_name1, structure_variable_name2, structure_variable_name-n;
अगर हम स्ट्रक्चर वेरिएबल का उदहारण ले तो निचे दिया गया उदहारण सबसे अच्छा रहेगा जिसमे स्टूडेंट का डाटा लेने के लिए structure बनाया गया है –
struct student {
int roll_number ;
char name[100];
} stud_info;
//assign values
stud_info.roll_number = 21;
stud_info.name = "shailendra";
10. C language Loops क्या है ?
अब हम देखने वाले है C language की सबसे काम में आने वाली concept जिसका नाम loop .दोस्तों कही बार प्रोग्रामिंग में ऐसी स्तिथि आ जाती है की हमे एक ही ब्लॉक कहिबार execute करना होता है. जिसके लिए हम manual code लिखे तो काफी ज्यादा code लिखना पड़ सकता है. या कहिबार तो code इतना हो सकता है की लिखना संभव ही न हो.
ऐसे में C language में Loop का इस्तेमाल किया जाता है. जिसकी मदत से हम एक ही block कहिबार execute कर सकते है. अब हम C language in hindi देखते है की C language में कितने प्रकार के Loop होते है –
1. while loop –
C language loops क्या है ? इसमें सबसे पहला loop आता है while loop जिसे हम निचे दिए गए एक साधारण उदहारण के माध्यम से समझते है – जिसमे हमे 1 से 10 तक के अंक प्रिंट करने है.
int i = 0 ;
while(i < 10)
{
printf("%d",i);
i++;
}
//output
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9
1o
इस दिए गए उदाहरण में सबसे पहले कंडीशन चेक की जाएगी a < 10 अब कंडीशन True है तो i की पहली value प्रिंट की जाएगी जो होगी i[0] = 1 उसके बाद i++ की मदत से i की वैल्यू को इन्क्रीमेंट किया जायेगा तब ऐसा होगा – i[1] = 2 . ये ऐसे ही चलता जायेगा जबतक कंडीशन false न हो जाये.
2. do while loop –
यह loop भी बिल्कुक while loop के जैसा ही है लेकिन इसमें सबसे पहले loop एक बार execute हो जाता है और उसके बाद कंडीशन चेक की जाती है. जिसको हम निचे दिए गए उदहारण के माध्यम से समझने की कोशिश करते है.
int i = 1 ;
while(i > 10)
{
printf("%d",i);
i++;
}
//output
1
अब इस उदहारण में आप देख सकते है की कंडीशन false थी फिर भी loop एक बार execute हुआ है. मतलब इसका उपयोग उन conditions में किया जाता है जहाँपर आपको condition true हो या false हो loop को एक बार ही सही लेकिन execute करना ही होता है.
3. for loop –
यहाँ पर अब C language in hindi इस C language full course in hindi में हम पहुंच गए है for लूप तक. for loop भी बिकुल while लूप जैसा ही कार्य करता है. लेकिन इसका लिखने का syntax काफी simple है. तो अब हम C language में for loop कैसे होता है यह उदहारण के माध्यम से समझते है.
for(int i = 0 ; i < 10 ; i++)
{
printf("%d",i);
}
//output
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हम देख ही सकते है की for loop का output भी बिलकुल while loop जैसे ही होता है लेकिन इसमें variable declaration, initialization और increment/decrement एक ही लाइन में किया जाता है. जो की इस्तेमाल करने में आसान है.
4. nested loop –
कहिबार हमे loop अंदर loop लिखने की आवश्यकता पड़ जाती है ऐसे में हम nested loop का इस्तेमाल करते है. अब हम nested loop को समझने के लिए for को nested loop बनाते है –
for(int i = 0 ; i < 10 ; i++)
{
for(int j = 0 ; j < 10 ; j++)
{
printf("%d",i,j);
}
}
10. C language Input & Output क्या है ?
C लैंग्वेज में प्रोग्राम को इनपुट या आउट देने के लिए printf() और scanf() इन pre-define फंक्शन का उपयोग किया जाता है. जिनके लिए हमे अलग से कोड लिखने की आवश्यकता नहीं होती. वह #include<stdio.h> में पहले से मौजूद होते है.
1. C language Input –
C लैंग्वेज में अगर हमे कोई भी डाटा यूजर से लेना होता है तो हम उस समय इनपुट का इस्तेमाल करते है. C लैंग्वेज में डाटा लेने के लिए कमांड लाइन का उपयोग किया जाता है. यूजर कोई भी डाटा कमांड लाइन इंटरफ़ेस के माध्यम से देता है.
2. C language Output –
C लैंग्वेज में अगर हमे आउटपुट दिखाना होता है तब आउटपुट का उपयोग किया जाता है. C language का आउटपुट भी कमांड लाइन पर ही दिखाया जाता है. आउटपुट हमारा वह भाग होता है जो यूजर देख सकता है. या फिर इनपुट दिए हुए डाटा पर कुछ ऑपरेशन परफॉर्म करने के बाद का भाग आउटपुट होता है.
उदहारण –
#include<stdio.h>
#include<conio.h>
void main()
{
int a;
printf("Enter any number"); //output message
scanf("%d",&a); //input from user
printf("number is =%d",a); //show output
getch();
}
11. C language Function क्या है ?
C लैंग्वेज फंक्शन एक ऐसा यूनिट होता है जो सभी टास्क को एक यूनिट में wrap करता है. वह सभी ऐसे टास्क को व्रैप करता है जो किसी एक ऑपरेशन को पूरा करने के लिए बनाया गया है.
C language में कम से कम एक फंक्शन होना जरुरी है. अगर यूजर कोई भी फंक्शन नहीं लिखता तब C लैंग्वेज में main() फंक्शन आपने आप ही लिया जाता है.
अगर आप काफी बड़ा कोड लिख रहे हो तो आप उसे फंक्शन के माध्यम से divide कर सकते हो. या फिर ऐसा कोई कोड है जो काफी बार पुरे प्रोग्राम के लगने वाला है उसे भी आप एक फंक्शन में लिख सकते हो.
1. Define Function in C –
आप निचे दिए गए सिंटेक्स से C लैंग्वेज में फंक्शन डिफाइन कर सकते है। फंक्शन जब डिफाइन किया जाता है तो वह एक ब्लूप्रिंट जैसा स्ट्रक्चर बना देता है।
returnType functionName(parameter list) {
function body
}
Function Elements | डिस्क्रिप्शन |
returnType | फंक्शन क्या return करेगा यह return_type में डिफाइन किया जाता है |
functionName | फंक्शन को नाम दिया जाता है |
parameter list | फंक्शन में कोनसे पैरामीटर पास करने है यह पैरामीटर लिस्ट में डिफाइन किया जाता है |
function body | यहाँ पर फंक्शन की बॉडी लिखी जाती है |
2. Function Declarations in C –
जब भी आपको एक ही फंक्शन अनेक जगह पर कॉल करना हो जिसमे फंक्शन के पैरामीटर समान ही रहेंगे लेकिन बॉडी चेंज होगी ऐसे समय में फंक्शन को बिना बॉडी के डिक्लेअर किया जाता है, ऐसे फंक्शन की बॉडी अलग से डिफाइन की जाती है।
आप निचे दिए गए सिंटेक्स से C लैंग्वेज में फंक्शन डिक्लेअर कर सकते है।
return_type function_name( parameter list );
Function Elements | डिस्क्रिप्शन |
returnType | फंक्शन क्या return करेगा यह return_type में डिफाइन किया जाता है |
functionName | फंक्शन को नाम दिया जाता है |
parameter list | फंक्शन में कोनसे पैरामीटर पास करने है यह पैरामीटर लिस्ट में डिफाइन किया जाता है |
3. Calling a Function in C
हमने अबतक फंक्शन डिक्लेअर और डिफाइन करना सीखा लेकिन जबतक उस फंक्शन को कॉल नहीं किया जाता वह एक डेड कोड रहेगा। लेकिन जब आप फंक्शन को कॉल करते है तब वह फंक्शन में लिखा हुआ कोड एक्टिव हो जाता है।
आप निचे दिए गए सिंटेक्स से C लैंग्वेज में फंक्शन को कॉल कर सकते है।
Function calling without parameter -
functionName();
Function calling with parameter -
functionName(value-1, value-2, value-n);
12. Unions in C language in hindi
आप C Language में यूनियन का उपयोग करके आप अनेक डाटा टाइप को एक ही मेमोरी लोकेशन पर स्टोर कर सकते है।
1. C लैंग्वेज में Union कैसे डिफाइन करे
C language में स्ट्रक्चर जैसे ही Union को भी डिफाइन किया जाता है। निचे दिए गए सिंटेक्स से आप C Language में Union डिफाइन कर सकते है।
union [union tag] {
member definition-1;
member definition-2;
...
member definition-n;
} [var-1, var-2, var-n];
C language में Union का उदाहरण –
union Data {
float weight;
char name[20];
} var1;
2. C लैंग्वेज में Union Members कैसे डिफाइन करे
member access operator (.) की मदत से अआप c लैंग्वेज में Union Members को access कर सकते है। निचे दिए गए example के माध्यम से आप Union Members को Access कर सकते है।
union SampleData {
int roll_no;
char name[100];
};
union SampleData sampleData;
sampleData.roll_no = 10;
strcpy(sampleData.name, "Techyatri");
printf( "sampleData.roll_no : %d\n", sampleData.roll_no);
printf( "sampleData.name : %s\n", sampleData.name);
13. C Pointers क्या है ?
C लैंग्वेज में पॉइंटर भी एक वेरिएबल होता है जो दूसरे वेरिएबल का एड्रेस स्टोर करता है। C language में पॉइंटर का उपयोग dynamic memory allocation के लिए किया जाता है। पॉइंटर की मदत से हम मेमोरी लोकेशन का पता लगा सकते है।
निचे दिए गए सिंटेक्स से आप पॉइंटर वेरिएबल डिक्लेअर कर सकते है –
pointer_type *var_name;
Pointer Elements | डिस्क्रिप्शन |
pointer_type | पॉइंटर का बेस टाइप |
*var_name | पॉइंटर वेरिएबल का नाम |
1. C लैंग्वेज में पॉइंटर का उपयोग कैसे करे
पॉइंटर को उपयोग करने के लिए 3 मुख्या स्टेप दिए गए है, जिनका उपयोग करके आप पॉइंटर को प्रोग्राम में इस्तेमाल कर सकते।
- Step 1: पॉइंटर वेरिएबल को डिफाइन करना
- Step 2: सिंपल वेरिएबल का एड्रेस पॉइंटर वेरिएबल को असाइन करना
- Step 3: पॉइंटर वेरिएबल से सिंपल वेरिएबल का एड्रेस एक्सेस करना
निचे दिए गए example से आप समज सकते है की किस प्रकार से c language में पॉइंटर्स का उपयोग किया जाता है –
int simple_var = 11; //सिंपल वेरिएबल डिक्लेरेशन
int *ptr_var; //पॉइंटर वेरिएबल डिक्लेरेशन
ip = &simple_var; //सिंपल वेरिएबल का एड्रेस पॉइंटर वेरिएबल में स्टोर
printf("Value of *ptr_var variable: %d\n", *ptr_var );
2. NULL Pointers in C
आप पॉइंटर वेरिएबल को NULL वैल्यू असाइन कर सकते है। लेकिन पॉइंटर वेरिएबल को NULL असाइन करना भी अच्छी आदत मानी जाती है क्योकि कहिबार वेरिएबल को केवल डिक्लेअर किया जाता है लेकिन वैल्यू असाइन नहीं की जाती ऐसे केस में NULL वैल्यू देना एक अच्छी आदत है ,जिससे Null Pointer Exception आने की सम्भावना कम हो जाती है।
NULL पॉइंटर का example –
int *ptr_var = NULL;
printf("The value of ptr_var is : %x\n", ptr_var );
————-To be Continue————-
thanks for notes
This essay covers a variety of fascinating historical periods, however I’m not sure I agree with all of them. It could be true, but I’m going to wait till I conduct further research before passing judgement. Thank you for a wonderful essay; we hope to see more like it in the future!
its very useful i am a blogger can i get work on your site
Sir I’m 2 year PGDCA (post graduate diploma in computer application) from government polytechnic .
Complete 2013 .
Sir kya hame fresher se c language se job mil Sakti hai. Ya apna business open
Kar Sakta hu .Pleasee gaid me.
Muje bhi aplay krna hh
Helo