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प्रोग्रामिंग लैंग्वेज क्या है | Programming Language In Hindi

प्रोग्रामिंग लैंग्वेज (Programming Language) जिसे प्रोग्रामिंग भाषा या कोडिंग (Coding) भी कहा जाता है यह एक कृत्रिम भाषा होती है जिसका उपयोग कंप्यूटर प्रोग्राम्स को बनाने के लिए किया जाता है Programming Language का इस्तेमाल सिर्फ कंप्यूटर प्रोग्राम्स डिज़ाइन करने के लिए नहीं होता है बल्कि इसका इस्तेमाल आजकल कई जगहों पर किया जाता है इसलिए Programming Language के भी अलग अलग प्रकार हमे देखने को मिलते है यह एक बड़ा टॉपिक है इसलिए इसे विस्तार से समझना जरुरी है इस लेख में हम कंप्यूटर प्रोग्रामिंग से सम्बंधित पूरी जानकारी आपके साथ सरल हिंदी भाषा में शेयर करने वाले है इसलिए इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें .

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हजारो सालों से इंसान अपनी बात दूसरे व्यक्ति तक पोहोचाने के लिए भाषा (Language) का प्रयोग करता आ रहा है , प्राचीन समय से अब तक हम इंसान अपनी बात व्यक्त करने के लिए अलग अलग भाषाओँ का इस्तेमाल कर रहे है लेकिन कंप्यूटर का अविष्कार होने के बाद एक अलग कृत्रिम भाषा इंसानों द्वारा बनायीं गयी जिसे Computer Programming Language कहा जाता है यह लैंग्वेज खास तौर पर हमारी बात कंप्यूटर तक पोहोचाने के लिए बनायीं गयी है क्योंकि कंप्यूटर को हिंदी , इंग्लिश जैसी इंसानी भाषाएँ समझ में नहीं आती है .

अगर आपको अपनी बात किसी इंसान के सामने रखनी है तो आप इंग्लिश , हिंदी जैसी इंसानी भाषा में अपनी बातों को व्यक्त कर सकते है लेकिन अगर किसी कंप्यूटर या मशीन को आप कुछ बात कहना चाह रहे है या उसे कुछ Instructions देना चाहते है तो आपको कंप्यूटर प्रोग्रामिंग लैंग्वेजेज का ही इस्तेमाल करना होगा क्योंकि कंप्यूटर/मशीन को Programming Languages के अलावा कोई भी लैंग्वेज समझ में नहीं आती है इसलिए कंप्यूटर को instructions देने के लिए हमे प्रोग्रामिंग लैंग्वेज आना जरुरी होता है .

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प्रोग्रामिंग भाषा क्या है (Programming Language In Hindi)

प्रोग्रामिंग भाषा (Programming Language) एक कंप्यूटर भाषा है जो प्रोग्रामर (डेवलपर्स) द्वारा कंप्यूटर के साथ संवाद करने के लिए उपयोग की जाती है यह किसी विशिष्ट कार्य को करने के लिए किसी भी विशिष्ट भाषा (C, C ++, Java, Python) में लिखे गए निर्देशों का एक समूह है . आसान शब्दों में प्रोग्रामिंग लैंग्वेज मतलब एक ऐसी भाषा होती है जिसकी सहायता से कंप्यूटर को बताया जाता है की उसे क्या करना है यह एक ऐसे भाषा होती है जिसे कंप्यूटर समझ पाता है प्रोग्रामिंग लैंग्वेज वास्तविक में प्रोग्रामर और कंप्यूटर के बिच में कम्युनिकेशन का एक माध्यम होती है .

जितने भी Softwares , Apps , Websites , Games हम अपने कंप्यूटर स्क्रीन पर देखते है वे सभी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज से ही बनाये जाते है इसलिए अगर आप Programming Languages सीखते है तो आप आसानी से Softwares बनाना सिख सकते है क्योंकि प्रोग्रामिंग भाषा मुख्य रूप से डेस्कटॉप एप्स , वेबसाइट , मोबाइल ऍप्लिकेशन्स को विकसित करने के लिए उपयोग की जाती है .

प्रोग्रामिंग लैंग्वेज Syntax पर काम करती है जिस प्रकार हम इंसानो की भाषा व्याकरण (Grammar) पर चलती है ठीक उसी प्रकार प्रोग्रामिंग भाषा विशिष्ट Syntax पर कार्य करती है . वैसे तो कई सारी प्रोग्रामिंग लैंग्वेजेज उपलब्ध है लेकिन Java , Python , C , C++ , PHP , SWIFT , KOTLIN , C# , R यह कुछ प्रसिद्ध Programming Languages है .

प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के प्रकार

जिस प्रकार इंसानो की भाषाओँ के अलग अलग प्रकार होते है उसी प्रकार Computer Programming Language के भी अलग अलग प्रकार होते है अभी तक हमने देखा की प्रोग्रामिंग भाषा क्या होती है अब हम इसके प्रकारों Types Of Programming Languages In Hindi के बारे में जानेंगे .

Low-Level (लो-लेवल) प्रोग्रामिंग लैंग्वेज

Low -Level लैंग्वेज को मशीन निर्भर (machine-dependent) प्रोग्रामिंग लैंग्वेज भी कहा जाता है , कंप्यूटर को इंग्लिश , हिंदी , उर्दू जैसी इंसानी भाषाएँ समझ में नहीं आती है इसीलिए अगर कंप्यूटर को हम कोई भी Instructions देना चाहे तो हमे बाइनरी लैंग्वेज का उपयोग करना होगा क्योंकि कंप्यूटर सिर्फ बाइनरी लैंग्वेज (0 और 1) को ही समझ पाता है .

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Low Level Language में लिखे हुए प्रोग्राम्स को Run करने के लिए compiler या interpreter की जरुरत नहीं होती है इसलिए Low Level लैंग्वेज में लिखे हुए प्रोग्राम्स को प्रोसेस करने में प्रोसेसर को ज्यादा समय नहीं लगता है और Low Level Language के प्रोग्राम्स जल्दी से RUN हो जाते है .

Low-Level Language को भी दो भागों में विभाजित किया गया है :

  • मशीन लैंग्वेज
  • असेंबली लैंग्वेज

1 . मशीन लैंग्वेज (Machine Language)

Machin language जिसे मशीन कोड या ऑब्जेक्ट कोड भी कहा जाता है यह low-level प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का एक प्रकार है इस लैंग्वेज के प्रोग्राम्स को बाइनरी (0 और 1) में लिखे जाते है इसलिए यह लैंग्वेज पढ़ने में आसान होती है और इस लैंग्वेज को किसी भी ट्रांसलेटर की जरुरत नहीं होती है क्योंकि कंप्यूटर Machin language में लिखे हुए प्रोग्राम्स को सीधे समझ सकता है .

2 . असेंबली लैंग्वेज (Assembly Language)

Assembly Language यह भी Low-Level प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का एक प्रकार है जिसे मशीन कोड या ऑब्जेक्ट कोड भी कहा जाता है Assembly लैंग्वेज का स्ट्रक्चर इस प्रकार होता है की जिसे इंसान आसानी से समझ सकता है असेंबली भाषा को मशीन भाषा में बदलने के लिए एक असेंबलर का उपयोग किया जाता है . Assembly का सबसे बड़ा फायदा यह होता है की इसे रन करने के लिए कम मेमोरी खर्च होती है और Assembly लैंग्वेज में लिखा हुआ प्रोग्राम भी जल्द Run होता है .

Low-Level लैंग्वेज के फायदे

  • Low Level Languages में लिखे हुए प्रोग्राम्स को काफी तेजी से RUN होते है
  • Low Level Languages में Memory कम लगती है
  • प्रोग्रामर Low Level Language का उपयोग करके प्रोसेसर और मेमोरी का बेहतर तरीके से उपयोग कर सकते हैं
  • Low Level लैंग्वेजेज में सोर्स कोड को मशीन कोड में ट्रांसलेट करने की जरुरत नहीं होती है इसलिए यहापर compiler और interpreter की जरुरत नहीं होती है
  • Low Level लैंग्वेज सीधे हार्डवेयर उपकरणों के साथ संवाद कर सकती है .

Low-Level लैंग्वेज के नुकसान

  • Low Level लैंग्वेजेज का उपयोग करके विकसित किये गए प्रोग्राम्स मशीन पर निर्भर होते हैं और वे पोर्टेबल भी नहीं होते हैं
  • Low Level लैंग्वेज में प्रोग्राम डेवेलप करना और डिबग करना मुश्किल होता है
  • Low Level लैंग्वेज में Errors आने की संभावना ज्यादा होती है
  • Low Level लैंग्वेज की प्रोग्रामिंग में आमतौर पर खराब प्रोग्रामिंग उत्पादकता होती है
  • प्रोग्रामर को Low Level Language में प्रोग्रामिंग के लिए विशेष मशीन और कंप्यूटर आर्किटेक्चर का अतिरिक्त ज्ञान होना चाहिए .

High-level (हाई-लेवल) प्रोग्रामिंग लैंग्वेज

हाई लेवल प्रोग्रामिंग लैंग्वेज यूजर-फ्रेंडली सॉफ्टवेयर प्रोग्राम्स और वेबसाइट बनाने के लिए बनायीं गयी लैंग्वेज है जिसे समझना , लिखना , पढ़ना और इस्तेमाल करना एक डेवलपर के लिए काफी आसान होता है Low-Level लैंग्वेज डेवलपर को समझने में थोड़ी मुश्किल होती है और Low-Level लैंग्वेज से यूजर फ्रेंडली सॉफ्टवेयर और websites बनाना काफी मुश्किल होता है इसलिए User-Friendly Softwares बनाने के लिए High-Level लैंग्वेज को बनाया गया है .

High-level लैंग्वेज में लिखे हुए प्रोग्राम्स सीधे मशीन पर Run नहीं हो सकते है , High-level लैंग्वेज के प्रोग्राम्स रन करने के लिए compiler या interpreter की आवश्यकता होती है क्योंकि High-level लैंग्वेज में लिखा हुआ प्रोग्राम पहले मशीन लैंग्वेज में ट्रांसलेट करना होता है . High-level लैंग्वेज का प्रोग्राम Low-Level मशीन लैंग्वेज में ट्रांसलेट करने की जरुरत इस लिए पड़ती है क्योंकि कंप्यूटर को सिर्फ Low-level वाली मशीन लैंग्वेज (0 और 1) समझ आती है .

Python, Java, JavaScript, PHP, C#, C++, Objective C, Cobol, Perl, Pascal यह कुछ प्रसिद्द हाई-लेवल प्रोग्रामिंग लैंग्वेज है .

High-level प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के भी 3 प्रकार होते है :

1 . प्रोसीज़रल ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग लैंग्वेज

Procedural Oriented programming language (POP) इसे स्ट्रक्चर्ड प्रोग्रामिंग से लिया गया है और यह प्रोसीजर कॉल कांसेप्ट पर आधारित है इस प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में प्रोग्राम को छोटे छोटे procedures (प्रक्रियाओं) में विभाजित किया जाता है . POP लैंग्वेज का सबसे बड़ा फायदा यह होता है की इसकी सहायता से सॉफ्टवेयर डेवलपर को अपने प्रोग्राम के flow को ट्रैक करना आसान होता है और प्रोसीज़रल ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में लिखे हुए Code को डेवलपर अपने प्रोग्राम में अलग अलग तरीकों से पुन: उपयोग भी कर सकता है . C, FORTRAN, Basic, Pascal, आदि . यह कुछ प्रोसीज़रल ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के कुछ उदहारण है .

2 . ऑब्जेक्ट-ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग लैंग्वेज

Object-Oriented Programming (OOP) language ऑब्जेक्ट्स (Objects) पर आधारित एक हाई लेवल प्रोग्रामिंग लैंग्वेज है इसमें प्रोग्राम्स को छोटे छोटे हिस्सों में विभाजित किया जाता है जिन्हे Objects कहा जाता है . प्रोग्रामिंग की दुनिया में OOP सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला Concept है इसमें इन्हेरिटेंस, पॉलीमॉरफिस्म, अब्स्ट्रक्शन जैसी Object-Oriented कॉन्सेप्ट्स का इस्तेमाल किया जाता है . OOP की विशेषताओं की अगर बात करे तो यह फ़ास्ट और समझने में काफी आसान होती है . C++, Java, Python, C#, आदि ऑब्जेक्ट ओरिएंट प्रोग्रामिंग के कुछ उदहारण है .

3 . नेचुरल लैंग्वेज

Natural Language अंग्रेजी, हिंदी जर्मन और उर्दू जैसी मानव भाषाओं का एक हिस्सा है . इसका उपयोग मशीनों द्वारा मानव की भाषा को समझने, हेरफेर करने और व्याख्या करने के लिए किया जाता है . सॉफ्टवेयर डेवलपर नेचुरल लैंग्वेज का इस्तेमाल विभिन्न कार्यों के लिए किया जाता है जैसे ट्रांसलेशन , विषय विभाजन आदि . नेचुरल लैंग्वेज का मुख्य लाभ यह है कि यह उपयोगकर्ताओं को किसी भी विषय में प्रश्न पूछने और सेकंड के भीतर सीधे जवाब देने में मदद करता है .

High-level लैंग्वेज के फायदे

  • High-level लैंग्वेज प्रोग्रामर फ्रेंडली होती है
  • High-level लैंग्वेज में प्रोग्राम लिखना , डिबग करना आसान होता है
  • यह एक मशीन स्वतंत्र (machine independent language) लैंग्वेज है
  • हाई लेवल लैंग्वेज सीखने में आसान है
  • इस लैंग्वेज में Errors आने की संभावनाएं कम होती है
  • हाई लेवल लैंग्वेज में Errors को ढूँढना और उन्हें Debug करना आसान होता है
  • High Level की प्रोग्रामिंग के परिणामस्वरूप यह बेहतर प्रोग्रामिंग उत्पादकता होती है .

High-level लैंग्वेज के नुकसान

  • हाई लेवल लैंग्वेज को सोर्स कोड को मशीन कोड में ट्रांसलेट करने के लिए अतिरिक्त समय लगता है
  • High Level लैंग्वेज में लिखे हुए प्रोग्राम्स Low Level के प्रोग्राम्स की तुलना में Slow होते है
  • Low Level की तुलना में High Level लैंग्वेज के प्रोग्राम्स को ज्यादा मेमोरी की आवश्यकता होती है
  • High Level लैंग्वेज Low Level लैंग्वेज की तरह सीधे हार्डवेयर से कम्यूनिकेट नहीं कर सकती .

Middle-level (मिडिल-लेवल) प्रोग्रामिंग लैंग्वेज

मिडिल लेवल लैंग्वेज High-Level और Low-Level के बीच मे स्थित स्थित एक प्रोग्रामिंग लैंग्वेज है इसे इंटरमीडिएट (मध्यम) लैंग्वेज भी कहा जाता है . Middle Level लैंग्वेज की सबसे बड़ी विशेषता यह है की यह लैंग्वेज High-Level और Low-Level दोनों लैंग्वेजेज के फीचर्स को सपोर्ट करती है और यह एक यूजर फ्रेंडली लैंग्वेज होती है C और C++ यह दोनों मिडिल लेवल लैंग्वेज के उदहारण है .

सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली प्रोग्रामिंग लैंग्वेजेज

जैसा की हम सब को पता है की आजकल Softwares का इस्तेमाल बैंकिंग , एजुकेशन , हॉस्पिटल्स , ऑटोमोबाइल्स , फाइनेंस जैसी सभी जगहों पर होता है इसलिए इन जगहों पर लगने वाले अलग अलग Softwares की डिमांड भी दिन प्रति दिन बहुत बढ़ती जा रही है , सॉफ्टवेयर डेवेलपर्स भी विभिन्न प्रोग्रामिंग लैंग्वेजेज का इस्तेमाल करके बेहतरीन softwares बनाते है लेकिन क्या आप जानते है की Softwares बनाने के लिए अभी के समय में कौनसी लैंग्वेजेज सबसे ज्यादा यूज़ की जाती है .

आजकल केवल Softwares बनाने के लिए नहीं बल्कि विभिन्न कामों के लिए भी प्रोग्रामिंग लैंग्वेजेज का इस्तेमाल किया जाता है और दुनिया में दर्जनों प्रोग्रामिंग लैंग्वेजेज उपलब्ध है लेकिन कुछ सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली प्रोग्रामिंग भाषाएँ नीचे दी गई हैं –

  1. Python
  2. Java
  3. C
  4. C++
  5. C#
  6. JavaScript
  7. R
  8. PHP
  9. Go
  10. Ruby

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दोस्तों प्रोग्रामिंग को अच्छे से और हिंदी भाषा में सिखने के लिए आप प्रोग्रामिंग की किताबे भी खरीद सकते है। मार्केट में ज्यादातर प्रोग्रामिंग की किताबे अंग्रेजी भाषा में ही उपलब्ध है , हिंदी भाषा में प्रोग्रामिंग की किताबे मिलना बहुत मुश्किल है लेकिन हमने आपके लिए कुछ प्रोग्रामिंग किताबे रिसर्च करके ढूंढी है जो हिंदी में उपलब्ध है। अगर आप प्रोग्रामिंग सिखने के लिए सीरियस है तो इन किताबों को आप खरीद सकते है।

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अंतिम शब्द

दोस्तों आज के इस लेख में हमने प्रोग्रामिंग लैंग्वेज क्या है और Prgramming Languages के प्रकारों के बारे में जाना . अगर आपको प्रोग्रामिंग लैंग्वेजेज के बारे में यह जानकारी अच्छी लगी तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करे और अगर आपके मन में प्रोग्रामिंग लैंग्वेजेज से सम्बंधित कोई भी सवाल हो तो हमे कमेंट करके जरूर पूछें . धन्यवाद !

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22 COMMENTS

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