Secure Electronic Transaction in Hindi | SET in Hindi

Secure Electronic Transaction in Hindi (SET) : सिक्योर इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसैक्शन (SET) यानि सुरक्षित इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन एक कम्युनिकेशन प्रोटोकॉल स्टैण्डर्ड है जिसका उपयोग इंटरनेट में ट्रांसक्शन्स को सुरक्षित (Secure) रखने के लिए किया जाता है. Secure Electronic Transaction in Hindi इस लेख में हम सिक्योर इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसक्शन के बारे में विस्तार से पढ़ेंगे और जानेंगे SET क्या है और इसका इस्तेमाल क्यों और कैसे किया जाता है. सिक्योर इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसक्शन के बारे में सभी जानकारी इस लेख में आपको मिलने वाली है इसलिए इसे अंत तक पूरा जरूर पढ़े.

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Secure Electronic Transaction in Hindi (SET)

सिक्योर इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसेक्शन एक कम्युनिकेशन प्रोटोकॉल स्टैण्डर्ड है और इसे SET नाम से भी जाना जाता है. इंटरनेट पर क्रेडिट कार्ड ट्रांसक्शन्स को सुरक्षित रखने के लिए सिक्योर इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसक्शन यानी SET का प्रयोग किया जाता है. सिक्योर इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसक्शन cryptocurrency पर आधारित एक ओपन सोर्स प्रोटोकॉल है जिसका काम नॉन सिक्योर नेटवर्क्स में payment transaction को सिक्योर बनाना होता है.

Secure Electronic Transaction (SET) को SET consortium द्वारा विकसित किया गया था, जिसे 1996 में Visa और Mastercard द्वारा GTE, IBM, Microsoft, Netscape, SAIC, Terisa Systems, RSA और VeriSign के सहयोग से स्थापित किया गया था.

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इंटरनेट पर अनेक इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट ट्रांसक्शन सिस्टम्स में SET प्रोटोकॉल का इस्तेमाल किया जाता है. Secure Electronic Transaction खुद पेमेंट सिस्टम नहीं है बल्कि यह एक सिक्योरिटी प्रोटोकॉल है जिसका प्रयोग इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट ट्रांसक्शन सिस्टम्स में किया जाता है.

SET प्रोटोकॉल विभिन्न एन्क्रिप्शन और हैशिंग तकनीकों का प्रयोग करता है जिससे इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट सिस्टम सुरक्षित होती है और अटैकर्स को क्रेडिट कार्ड की डिटेल्स नहीं मिलती.

Secure Electronic Transaction ही वो सिक्योरिटी प्रोटोकॉल है जो सुनिश्चित करता है की इंटरनेट पर हो रहे ऑनलाइन ट्रांसक्शन सुरक्षित है या नहीं. SET का इस्तेमाल सबसे पहले मास्टरकार्ड, वीसा, माइक्रोसॉफ्ट और नेटस्केप जैसी बड़ी कंपनियों ने सपोर्ट किया था. VISA जैसी बड़ी Payment systems अभी के समय में 3-D secure स्कीम का प्रयोग करती है.

ऑनलाइन पेमेंट सिस्टम्स को सिक्योर बनाने के लिए बदलते समय के साथ साथ काफी अच्छी अच्छी तकनीकें और प्रोटोकॉल मार्किट में आयी इसलिए Secure Electronic Transaction (SET) मार्किट में कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर पाया.

Secure Electronic Transaction सम्बंधित कुछ जरुरी बातें –

  • Secure Electronic Transaction 1996 में विकसित किया गया एक प्रारंभिक कम्युनिकेशन प्रोटोकॉल था जिसे इलेक्ट्रॉनिक डेबिट और क्रेडिट कार्ड भुगतान को सुरक्षित करने के लिए ई-कॉमर्स वेबसाइटों द्वारा उपयोग किया जाता था.
  • SET प्रोटोकॉल ने इंटरनेट के माध्यम से व्यापार करने वाले व्यापारियों की अपने ग्राहकों की कार्ड जानकारी को वास्तव में देखे बिना verify करने की अनुमति दी जिससे खाता चोरी, हैकिंग और अन्य आपराधिक कार्यों से ग्राहक बच सके और इंटरनेट पर सुरक्षित लेनदेन करने में सक्षम हुए.
  • 1990 के दशक के मद्य में Secure Electronic Transaction द्वारा परिभाषित प्रोटोकॉल पेश किये जाने के बाद ऑनलाइन transactions / डेबिट और क्रेडिट कार्ड लेनदेन के लिए डिजिटल सुरक्षा के अन्य Standard सामने आए.
  • Secure Electronic Transaction के बाद 3-डी सिक्योर प्रोटोकॉल आया जिसे VISA , Mastercard और अमेरिकन एक्सप्रेस द्वारा अपनाया गया.

सिक्योर इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसक्शन की विशेषताएं | Features of SET in Hindi

व्यावसायिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए, Secure Electronic Transaction (SET) की निम्नलिखित विशेषताएं है.

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  • सूचना की गोपनीयता
  • डेटा की अखंडता
  • कार्डहोल्डर अकाउंट ऑथेंटिकेशन
  • मर्चेंट ऑथेंटिकेशन

Participant in Secure Electronic Transaction

एक SET सिस्टम में निम्नलिखित प्रतिभागी शामिल होते हैं:

  • कार्डहोल्डर
  • मर्चेंट
  • Issuer
  • Acquirer
  • पेमेंट गेटवे
  • सर्टिफिकेशन अथॉरिटी

सिक्योर इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसक्शन सिस्टम कैसे काम करता है – How SET Works

How Secure Electronic Transaction System Works: सिक्योर इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसेक्शन प्रोटोकॉल इंटरनेट पर इलेक्ट्रॉनिक transaction के लिए वीज़ा और मास्टरकार्ड जैसे बड़े प्रदाताओं द्वारा समर्थित है. क्योंकि वास्तव में SET protocol इलेक्ट्रॉनिक Transactions के लिए काफी सुरक्षित है. चलिए जानते है की सिक्योर इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसक्शन सिस्टम कैसे काम करता है. जैसेकी हमने आपको बताया सिक्योर इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसक्शन प्रोटोकॉल इंटरनेट पर Payment लेनदेन करने के लिए किया जाता है जिससे इंटरनेट पर हो रहे Payment transactions सुरक्षित हो.

इस सिस्टम में कुल 6 प्रतिभागी शामिल होते है जो की सिक्योर इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसक्शन सिस्टम को पूरा करते है.

  • कार्डहोल्डर
  • मर्चेंट
  • Issuer
  • Acquirer
  • पेमेंट गेटवे
  • सर्टिफिकेशन अथॉरिटी

SET सिस्टम में सबसे पहले तो कार्डहोल्डर और मर्चंट दोनों को सर्टिफिकट अथॉरिटी (CA) से रजिस्टर होना जरुरी होता है तभी कार्डहोल्डर और मर्चंट Secure Electronic Transaction system का उपयोग करके लेनदेन कर सकते है.

जब Cardholder और Merchant दोनों सफलतापूर्वक सर्टिफिकट अथॉरिटी से रजिस्ट्रेशन का प्रोसेस पूरा करते है तब वे दोनों Secure Electronic Transaction को यूज़ करने में पात्र होते है और दोनों इंटरनेट पर ऑनलाइन Transactions शुरू कर सकते है.

कुछ स्टूडेंट्स के मैसेज हमे इंस्टाग्राम पर आ रहे थे की, ‘labelled डायग्राम की सहायता से secure electronic transaction protocol को समझाइए’ उनके लिए हमने सिक्योर इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसैक्शन प्रोटोकॉल प्रोसेस की एक labelled डायग्राम बनायीं है और इसको अच्छी तरीके से explain भी किया है. अगर आप भी कंप्यूटर नोट्स से संबंधित किसी टॉपिक की जानकारी सरल हिंदी में जानना चाहते है तो हमे Instagram पर Follow करके मैसेज जरूर करे – Follow Us On Instagram

Participant in Secure Electronic Transaction in hindi
  1. सबसे पहले ग्राहक इंटरनेट पर वेबसाइट को खोलता है और फ़ैसला लेता है की यूज़ क्या खरीदना है.
  2. ग्राहक आर्डर और पेमेंट इन्फॉर्मेशन को भेजता है , जिसमे 2 हिस्से अंतर्गीत होते है पहला हिस्सास होता है Purchase order जो की merchant के लिए होता है और दूसरा हिस्सा होता झाई Card information जो केवल मर्चेंट के बैंक के लिए होता है.
  3. Card की जानकारी मर्चेंट अपने bank को भेजता है.
  4. Payment authorization के लिए मर्चेंट का बैंक Issuer (जारीकर्ता) की जाँच करता है.
  5. जारीकर्ता (Issuer) Merchant के बैंक को authorization भेजता है.
  6. मर्चेंट का बैंक Merchant को authorization भेजता है.
  7. Merchant , आर्डर को पूरा करता है और ग्राहक को पुष्टीकरण (confirmation) भेजता है.
  8. Merchant अपने बैंक से ट्रांसेक्शन को कैप्चर करता है.
  9. Issuer , ग्राहक के लिए क्रेडिट कार्ड बिल को प्रिंट करता है.

SET का इतिहास – History of Secure Electronic Transactions in Hindi

Secure Electronic Transaction प्रोटोकॉल का विकास ई-कॉमर्स लेनदेन के उद्भव और वृद्धि की एक प्रतिक्रिया थी, विशेष रूप से इंटरनेट पर उपभोक्ता-संचालित खरीदारी. 1990 के दशक के मध्य में ऑनलाइन व्यापार करना और खासकर ऑनलाइन पेमेंट करना एक नयी बात थी और लोग ऑनलाइन लेनदेन करने से डरते थे. इस दौर में ऑनलाइन सुरक्षा काफी कम थी और मौजूद सिक्योरिटी प्रोटोकॉल्स भी काफी हद तक विकसित होने के कगार पर थे और यह काफी हद तक प्रभावी भी थे.

1996 में, SET कंसोर्टियम जो की एक समूह था जिसमें GTE, IBM, Microsoft, Netscape, SAIC, Terisa Systems, RSA और VeriSign और अन्य के सहयोग से VISA और मास्टरकार्ड ने असंगत सुरक्षा प्रोटोकॉल संयोजन का लक्ष्य स्थापित किया.

नब्बे के दशक के अंत तक SET काफी कंपनियों द्वारा ऑनलाइन पेमेंट के लिए और eCommerce में इस्तेमाल किया जाने लगा लेकिन कुछ समय बाद क्रेडिट कार्ड लेनदेन के लिए डिजिटल सुरक्षा के लिए नए प्रोटोकॉल्स मार्केट में आने लगे.

सिक्योर इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसक्शन प्रोटोकॉल के बाद 3-डी सिक्योर प्रोटोकॉल मार्केट में आया जो की SET से भी सुरक्षित था इसलिए VISA और Mastercard ने 3D secure को अपनाया और बाकि कम्पनिया जो eCommerce क्षेत्र में थी वो भी Secure Electronic Transaction Protocol की बजाय 3D secure का इस्तेमाल करने लगी क्योंकि 3D secure अत्याधुनिक और SET से सुरक्षित था.

SET के फायदे – Advantages of Secure Electronic Transaction in Hindi

  • SET , क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी पर भी प्रतिबंध लगाता है.
  • SET ऑनलाइन मर्चेंट की विश्वसनीयता बरकरार रखता है.
  • यह ऑनलाइन धोखेबाज़ों और साइबर अपराधियों से Credit card की जानकारी को सुरक्षित रखता है.
  • यह Hardware independent होता है.
  • इसका उपयोग पुरे विश्व में किया जाता है.
  • SET सिस्टम संवेदनशील जानकारी को गोपनीय रखता है.
  • इस सिस्टम में Card holder और Merchant दोनों का Authentication जरुरी होता है जिससे सुरक्षित लेनदेन होता है.
  • SET , जानकारी गोपनीय रखता है और ऑनलाइन खरीदारी की गुणवत्ता में सुधार करता है.
  • SET प्रोटोकॉल में कार्डधारक का कार्ड नंबर कभी चोरी नहीं हो सकता.
  • SET बैंकों और कार्ड जारी करने वाले संगठनों को इंटरनेट पर व्यापक स्थान प्रदान करता है.
  • यह ऑनलाइन क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी के जोखिम को भी कम करता है.
  • SET अन्य भुगतान विधियों की तुलना में अधिक प्रतिस्पर्धी है.

SET के नुकसान – Disadvantages of Secure Electronic Transactions in Hindi

  • उपयोगकर्ता के पास क्रेडिट कार्ड होना चाहिए.
  • भुगतान छोटा होने पर यह लागत प्रभावी नहीं है.
  • गुमनामी में से यह पता लगाने योग्य है.
  • क्लाइंट सॉफ़्टवेयर (ई-वॉलेट) Install करने की आवश्यकता होती है.

Secure Electronic Transaction in Hindi FAQ’s

सिक्योर इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसेक्शन क्या है?

सिक्योर इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसक्शन एक कम्युनिकेशन प्रोटोकॉल स्टैण्डर्ड है, इसे SET नाम से भी जाना जाता है. इंटरनेट पर क्रेडिट कार्ड ट्रांसक्शन्स को सुरक्षित रखने के लिए सिक्योर इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसेक्शन यानी SET का प्रयोग किया जाता है.

सुरक्षित इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन की विशेषताएं क्या हैं?

सुरक्षित इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन की निम्नलिखित विशेषताएं है-
सूचना की गोपनीयता
डेटा की अखंडता
कार्डहोल्डर अकाउंट ऑथेंटिकेशन
मर्चेंट ऑथेंटिकेशन

सुरक्षा इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन के क्या लाभ हैं?

यह क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी पर भी प्रतिबंध लगाता है. SET ऑनलाइन मर्चेंट की विश्वसनीयता बरकरार रखता है और SET प्रोटोकॉल में कार्डधारक का कार्ड नंबर कभी चोरी नहीं हो सकता.

क्या इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन सुरक्षित हैं?

एसएसएल प्रमाणपत्र, फायरवॉल और नियमित सिस्टम स्कैन द्वारा इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन सुरक्षित हैं. इसके अलावा उपभोक्ताओं को ऑनलाइन लेनदेन में अतिरिक्त सुरक्षा परतें जोड़ने का अधिकार भी होता है.

Transactions को कैसे सुरक्षित करते हैं?

अच्छा एंटी-मैलवेयर प्रोग्राम का उपयोग करें.
अपने पीसी में सुरक्षा कमजोरियों को ढूंढे और उनका समाधान करे.
सुनिश्चित करें कि आप एक सुरक्षित कनेक्शन का उपयोग कर रहे हैं.
केवल प्रतिष्ठित वेबसाइटों का उपयोग करें.
ऑनलाइन शॉपिंग के लिए क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करें.
सार्वजनिक कंप्यूटर का प्रयोग न करें.
एक मजबूत और जटिल पासवर्ड सेट करें.

अंतिम शब्द

उम्मीद है आपको Secure Electronic Transaction in Hindi यह जानकारी अच्छी लगी होगी और आपको इस जानकारी से कुछ Help मिली होगी. अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करे और अगर आपके मन में Secure Electronic Transaction संबंधित कोई भी सवाल है तो हमे कमेंट करके जरूर बताये.

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